________________ पाठक महाशय / यद्यपि उक्त जीवनचरित्र चाहिये वैसा तो नहीं लिखा गयाहै तथापि वाचकटटको अवश्य रुचिकर होगा यह मुझे विश्वास हे यदि हीरमन, हीरसौभाग्य काव्य वगैरे मेरे समीय होते तो में अवश्य चरिन बहुत बडा और बहुत वृतान्त लिखाजाता किन्तु वह न होनेसे केवल जगद्गुरु काव्य तथा इग्रेजी लेखके आधारपरसे यह सक्षिप्त लिखागया है उसमें कुछ जुटी विदित हो तो पाठक क्षमा करें। परगन्क्षीय वान गन्दा