Book Title: Jain Nibandh Ratnakar
Author(s): Kasturchand J Gadiya
Publisher: Kasturchand J Gadiya

View full book text
Previous | Next

Page 352
________________ ( ३३० ) चहाके बादशाह कैदियोंको और पक्षियोंको छोडदें. और पर्युपणोंके आठ रोज तमाम राज्यमे हत्यावंद रक्खें. शाइने आपके कहनेसे आठकी जगह वारा तथा अधिकदिन हिंसा बंध करनेका हुक्म जारी करदिया. लिखाहैःश्रीमत्पर्युषणादिना रविमिताः सर्वे खेासराः । सोकियानदिना अपीद दिवसाः संक्रांतिवस्त्राः पुनः ।। मासः स्वीयजनेर्दिनाश्च मिहिरस्यान्येऽपि-भूमीन्दुना । हिन्दूम्लेच्छमहीपु तेन विहिताः कारुण्य परण्यापणाः॥१७३।। तेन नवरोजदिवसास्तनुजजनू रजवमासदिवसाश्च । विहिता अमारिसहिताः सलतास्तरवो घनेनेर ॥२७४ ।। ___ हीरसौभाग्य काव्य. सर्ग १४ । कैदियोंको और पक्षियोको छोडदिये शाहनेभी शिकार खेलना बंदकिया और १२ योजनका डेवरका तालाव मूरिजीके सुपुर्द कियाकि उसमें कोही मछलीको न पकडे, अहिंसाके विषयमें लिखाहौकि,श्रीमान् शाहि अकब्बरो नरवरो देशेष्वशेषेष्वपि । पश्मासाभयदानपुष्टपटहोद्योषानघध्वंसिनः । कामं कारयतिस्म हटहृदयो-यदाकलारंजितः ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 350 351 352 353 354 355