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(१५१ ) नधी करदेते हैं, और फितनेक भोजनभह तो ऐसी मृत्युका रस्ताही देखते है, जहां ऐसी मृत्यु हुई कि बहुत खुशी होते हैं स्तुशी होते हैं इतनादी नहीं पर ऐसा मौका किसी महिनेमें न मिले तो यह महिना तो खाली गया ! इस महिनेमें तो कुछ मालताल उडानेको न मिला ऐसा विचारते हैं कहो इससे ज्यादा और कोनसी निर्दगता होती है।
नियूक्ता-देवपूजादि धर्म कृत्योंको त्यागकर-सूतकसें सूसकी बनकर भोजन करनेमें दुगच्छा करते नहीं ___ निरज्जता-जा कुटुम्बमें कोई मृत्यु होती है ता सगेसोइयोको चिट्ठी लिखकर नुफतेके दिन युलाते हैं और शोकको देशपटा देकर आनन्दसे नुक्ता करते है-थोडे दिनोंके पहिले स्वर्गम्थके स्नेही रदन शोक करतेथे वेही आज लो लडडू, लो जलेबी, पहते है और क्षणिक सुग्व तथा मोटाउके वास्ते हजारों रपियेकी लधानी करडालने है कोई गाल अथवा युवा मृत्युभी ऐसा खर्च करनेमें आता है और उस समय युवा व वृद्ध पुरप और चिया खाने को आती हैं-एक तर्फ मृत्युवालेफे यही चाहिरके लोग आनेसे उसके घरवालोंका रजकेमारे हृदय फट रहाई, दूसरी तर्फ मिशन उडा रहे है यह फितना जमरामाट आने लायक दीखता है-धिकारहै ऐसे मृत्युपाये हुए के पिछे मिष्टान्न उहोवाले निर्जनोंको ।