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( २५३ ) युनिवर्सीटी (विश्वविद्यालय ) स्थापन करना चाहिये, उसके प्रवधके वास्ते विद्वान गृहस्थोंकी कमीटी नियत की जा कर व्यावहारिक और धार्मिक दोनों पिपयोंकी पाठमालाए बडी युक्ति और विचार पुर्वक तैयार करानी चाहिये-उन पाठ मालानोका क्रम सर्व जैन शालाओंमें दाखिल करवा कर उनकी योग्य इन्स्पेक्टरों द्वारा तपास करवाइ जाय तो कुछ लाभ होनेरी आशा है
प्र. व्यवहारिक शिक्षारी पाठमाला किस प्रकारकी होनी चाहिये। ___उ० व्यवहारिक पाठमालाओमें व्याकरण, और गणित के विपाको छोडकर और सन उपयोगी विपयोके पाठ आने चाहिये जैसे नीति सबधी पाठ, पदार्यविज्ञान, भूगोल इतिहास, आरोग्यता, उद्यम, व्यापारी इतिहास, राज्यशासन तत्र इत्यादि अन्य • उपयोगी पुस्तको द्वारा सकलन करना चाहिये, परन्तु सर्प जैन धर्मकी शैली के अनुसार और मिलान करके लिखेटुचे होने चाहिये.
ज्यापारिक शिक्षाफी पुस्तकें जुदी होनी चाहिये और वे युवान समर्थ विद्यार्थीयोंको ४ थी ५ वी कक्षामें सिखानी चाहिये.
इन पुस्तकों मर्म प्रकारकै उचित व्यापारोंका वर्णन