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( २३३ ) स्वामीका जो समत् चलता है उसको २४०० वर्ष हो चुके है गौतम बुद्ध महारम्बामीके शिष्यये यह ग्रयोंसे स्पष्ट विदित होता है जिससे माम होता है कि चौद्ध-धर्मकी म्थापना होने के पहले जेन वर्म चमक रहाथा, यह पात वि वासनीय है, गौतम और बौद्ध के इतिहासम २० वर्षका अन्तर है चोवीप्त नपिरोंम महावीरस्वामी अतिम तीर्पकरह. इससेभी जन धी प्राचीनता विदित होती है-चौद्ध धर्मके तत्व जैन धर्मके तत्वों का जनुकरण है।
औरपा परमो धर्म इस उार मिद्रान्तने जामण धर्मपर स्मरणीय (मुहर ) आप मारी है-यज्ञार्थ पशुहिंसा आजकल नहिं हानी है यही पर भारी छाप अन्य पमियों पर जैन धर्मने मारी, पुर्व कामे यह रिये असरयोकी हिंसा
गीरी इसा प्रमाग गोर ग्रयोंम है, परन्तु इस पोर दिमा पापण धर्मम पिनाइ रेजारा महापुण्य गैन धर्मम ही है
" अगडेझी जड " नापण धर्म और जैन धर्म गेनोम झगदेखीन- हिंमापी
* या ना मानसा रेग्म नहिं है क्योंकि गौतमम्वामी और गौनमीद्ध जुने जुटे हुरे है.