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( २४६ ) हैं. ये सब उनोंके संतान देखते है वैसाही वर्ताव भविष्यमें वेभी करना सीखते हैं-और यह हम प्रत्यक्ष देखतेभी है कि कई वालक अपने माता पिताओंकों वात वातम धिःकारते हैं उनोंकी आज्ञाके विमुख चलते हुवे उनोंको हरएक प्रकारसे हानी पहुंचाते हैं। यहां तक कि कभी कभी उन्हें पीट देते हैं
और जो स्त्रीय संतोषी शांत अमावंत लज्जालू विनयवंत सुशिक्षित आदि गुणवाली होती हैं उनोंके संतानभी उक्त गुणोंमे पूर्ण होते है जैसे एक कवीने कहा हैः
कार्येषु मंत्री करणेसु दासी । भोज्येषु माता शयनेषु रंभा ।। मनोऽनुकूला क्षमयाधरित्री।
एतद्गुणा वधू कुल मुद्धरति ॥ १॥ ___ यदि माताएं उपरोक्त गुणवाली शिक्षित हो तो वे उन्होंके वालकोंको अवश्य मधुर, प्रिय, नीतियुक्त वचन वोलना सिखलाती हैं. धर्म संबंधी छोटी कथाएं निरंतर सनाती रहती हैं, जिनसे उनोंके आचार विचार मुधरते हैं.
नीति संबंधी छोटे २ वाक्य सिखलाती हैं-अंकबोलना दि सिखानेसे गणित संबंधिभी पाया दृढ करदेती हैं, देवगुरु धर्म विषयकी बातें करनेसे उनोंकी श्रद्धा परिपक्क होती जाती