________________
(२४५) सजट करनेके वास्ते हमारे समाजकी स्वीयोंको मुशिक्षित कर नेकी आवश्यक्ता है और इसके प्रचारके लिये हमें अधिक प्राध करना चाहिये । __ अपठित माताए अपने कोमल बाउकोंको अज्ञान वश अयोग्य, अपटित और प्रतिकूल शिक्षाए देती हैं कि जिससे उनारे कामल दयामें अज्ञान, आलस्य, अनार, असत्य, बुसप, इप्या, तुन् उपन, अविनय, कोरतादि अनेक दुर्गुणोका
वेश होता चला जाता है कि जिसका भयङ्कर दुष्ट परिणाम आज हमारे समाजमें दृष्ठीगोचर हो रहा है *
वीय परके अदर अपने पतीकों, सामू मृसरे आदि समधीपासे निरतर अनेक प्रकारके कुवचन बोलती है, कोघमें आकर छाती माया कटती है, क क प्रकारकी कुचेष्टाएँ करती * इस लिये चीयाको अपश्य युक्तिपूर्वक शिक्षा देनी चाहिये मामतम जो गिक्षा हमारी पारिकाओं कन्यागालाम दी जाती है वो उनॉगरों भविष्य रामदायक कम होती है, कारण शुरपाठी शान उन्हें पिसी प्रकारसे उपयोगी नहीं होता है, म लिये आजकर जो रिवाज जहमदाबादकी पन्याशारामें हीराचदमी सफलभाटने निकाय है उसम पटारा पढावा सरके उसके अनुसार सर्व यलोंमें अभ्यास क्रम नियत किया जाना में ठीर समयताह
-