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कलेजा ठण्डे करने, ओर रोटीके साथ घीको पानीक मुआफिक करते है और अपनी निर्दयता बनाते है,शोकका वेश पहिनकर हर्पका जीमन नीमकर दयाजनक हास्यपान होकर मूर्खता बताते है । नुकता करनेवाले और खानेवाले धर्म की अज्ञानता बताते है, आर धर्मविरुद्ध अनाचार सहकर विद्वान् वर्ग में धर्मको हलका करते है । उम रिवाजकोअटकानेका आप मयल करें, ओरउसके साथ इतनी सचना करनेकी है कि एक शहरमें एक मुनिरान उनके रहने के वक्त थोडा बहुत सुधारा करगये हों तो, उस सुधारा रूपी वीजको उनके पीछे आनेवाले मुनिमहाराज अपने उपदेशसे जल सींचा करें तो जैनाचार विरुद्ध इस दुष्ट रिवानसे जैन कोमको मुक्त करनेको वे शक्तिमान होंगे और तभी वे पूरे कर्तव्यनिष्ठ माने जावेंगे। ___ अतमें आगेवान, तथा विद्यमान जेनवन्यु मुनिमहा राजा, यह हानिकारक रिवाज बन्द करने में कर्तव्यपरायण होकर अपने कर्तव्यको पूरा करेंगे ऐमी आशासे इस लघुलेखकी समाप्ति करने में आती है । इत्यलम्, मुज्ञेषु किंबहुना ।
श्री सघका दास कस्तुरचन्द गादिया