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( ११९ ) सकी प्रशसा किये बिना नहीं रह सक्ते ऐसे उच्च गुणोको सम्पादन कर सकता है। उत्तम पुरुपोंकी जीवनिया इतिहास स्तभक समाग है और इसीमेही विद्यानुरागी प्रेमस जीवनीया लिखते पढ़ते हैं। __ मेरे परोपकारी स्थविर-महात्मा-साक्षरवर्दी-पज्यपाद श्रीमन् महाराज केवलचद्रजी गणिजीका जीवन चरित्र-हिन्दी जन पनो सम्पादक महाशयके अनुरोबसे लिखनेका विचार किया है इसमें जल्लीके कारण कुछ जुटी रही विदित होतो पाठक क्षमा कर!
गणिजीश्री केरलचजी महाराजा जन्म विक्रम संवत् १८८० के भाद्र पद कृष्ण १० ददामी गुरवारसी रातको उद पटी ०८ पर ४३ पुनर्गनु नसमे हुआ जमम्थान शहर वालीयर, ज्ञाति गौड ब्राह्मण, माताका नाम सुशील और पिताका नाम शिवानन्दजी था गणिजीके पिता सालियरमें श्रीमान् मेघराजजी मुराणके यहापर नोकरी करतेथे चरित्र नायर निस समय नऊ वर्षकी क्यो र उसी अर्शमें श्वेताम्बर जैनाचार्य श्रीमान् ताराचमूरीजी महाराज देशान्तरोम विचरने हुने, जनेक यति-महात्माओके साथ सात १८९३ मे ग्वालियर पधारे । भारकाने नगर प्रवेशमा सराहनीय उत्सक फिया । श्रीताराबद्रमूरि आनो श्रीपूजाकी तरह द्रव्य लोभसे कही नदी विचर, वे जहा जातये वहाएर व्यारयान हमेशाह