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( १४४ ) केवल गणिके शिष्य दोनों धर्मके स्वरूप दृगनते देखते दिल प्रफुल्लाये है। वल्लभ प्रभाकर तनु सुन्दर अनंग ज्यों माणककी मुलीला चिमनको मुहाई है ॥ ३॥
(कवि चिमनलाल.)
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इस कवि भी आपके गुण कथनमें स्वल्पभी अत्युक्ति नहीं की।
आपकी जीवनीसे संबंध रखने वाले कई कागद-पत्र मारवाडमें रइजातेके कारण (जल्दीवश) से यहां वे प्रकाशित नहीं करसका, अतएव किसी समय अवसर मिला तो अवश्य विस्तार पूर्वक जीवन चरित्र लिखनेका साहस करूंगा, हालमें इतना लिखकर विश्रान्ति लेना उचित समझता हूं।
खामगाव ( बराड) . ता. २३-११-१९११ ई.
जैनधर्माऽभ्युदय चिन्तक,
वालचन्द्र मुनि ।