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( १३१) आभी वेसाही-ठाकुर साहबने पुत्रोत्पत्तिके वाद आपको कईवार आमत्रणश्येि, परतु आप फिर गयेही नही. धन्य है विरक्तता तूझे ?
सवत १९३० में आचार्य गच्छीय उपाश्रयमें एक वि__राट सभा भरीथी, सभापति हेमचद्रमरिथे. इस सभामें आपने
अपने मतव्योंया पूर्ण समर्थन किया. किसीभी विद्वानकी यह सामर्थ्य हुइ की आपके कोटीका कोटीका कोई खण्डन कर सका हो, सारे पडित चूप होगये, आपका इस सभामें पूर्ण विजय एव सन्मान हुआ और पडितोंने आपको विद्यावाचस्पति पद दिया. सवत १९३१ से १९५८ अठराह वर्ष प. र्यन्त आप मारवाड मातमही विचरते रहे माय. बहुतसे चातुमसि पीकानेरमेही हुए।
___ सवत १९४१ चोमासा आपका शहर डगरगढ (मान चीकानेर ) में हुआ, गरगढके हाकिम साहरने आपके गुणों से प्रसन्न होपर एफ उटकी अंगारका परवाना दे दिया, उमकी नकल म यहापर उद्धृत करते हैं।