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जैनधर्मसिंधु. पूरी न कर सके (तो) वा उली गिणती में । न हीं। और नवी करणी पडे । एक उलीके वीस पद हे (तिहां) कोई वीस दिनसें । वीसों पद जूदा २ गिणें । कोई वीसों दिन में एकज पद गिणे । पू. सरे वीसों दिनमें दूसरो पद । (ऐसें) वीसों पद- . की वीस उली करे। तिहां पदाराधनके दिन प्रबल शक्तिवंत । अहम तप करिक श्राराधै । वीस अहमें एक उली होय । ऐसें वीसउली (४००) अहमें आराधै । और तिसमें हीनशक्ति बह तप करके श्रा राधैं । तिससे हीनशक्ति चौविहार उपवास करके
ओराधे । तिससे हीन शक्ति त्रिविहार उपवास करके श्राराधे । हीन शक्ति आंबिल (तथा) त्रिवि हार एकासण करके आराधे । तिहां शक्तिवान प्रा णी। सब तपस्याके दिन अठ पहरी पोसह करे। (हीन शक्ति) दिन पोसह करे । वीसों पद पोसह सेती आराधे (जो) पोसह शक्ति सर्व पदमें न हो (तो) आचार्य पदे १ उपाध्याम पदे २ थिवर पदे ३ साधू पदे ४ चारित्र पदे ५ गौतम पदे ६ तीर्थ पदे ७ यह सात थानक तो पोसहज करके श्रारा धे । तथापि शक्ति नही (तो) तिस दिन देसावगासिक करे । सावद्य व्यापार त्यजे । सो पिण न होश (तो) यथाशक्ति तप करी आराधे । अपणी हीनतानावे (तथा) मृतक जातक का सूतकमें उ