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जैनधर्मसिंधु.
पिढें इरिश्रावदी पक्किमी, चैत्यवंदन करके प raमणां शरु करे. ॥ इति. ॥ संथारा पोरिसीकी विधि.
पहोर रात्री पर्यंत सजाय ध्यान किये पिछे संथा रा करनेके अवसर खमा० वा० बहु पडिपुन्ना पोरि सिकही खमासमे देके इरियावह पक्किमे पिढें खमा० वा० 'बहु परिपुन्ना पोरिसि राज्य संथारए वाजं ?' यौं कहके चक्कसायका चैत्यवंदन जय विय बुकमा
ना
तक
विधि तिस्मे चौंदमी गाथा तीनवार कहना पिछे तीन नवकार गुना पिबे बेल्ली तीन गाथा कहेनी तत्प श्चात् निद्रा न आवे तहांतक सजाय ध्यान करना. पाक्षिक प्रतिक्रमण में कोइको ठींक आवे तो करने की विधि.
जो पाक्षिक अतिचारके पहिले बींक आवेतो सब नवकार गुना (पब बल्ल । तनि गाय कहना तत्ले श्चात् निद्रा न आवे तहांतक सजाय ध्यान करना. पाक्षिक प्रतिक्रमण में कोइको ठीक यावे तो करने की विधि.
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जो पाक्षिक अतिचारके पहिले बींक श्रावेतो सब पुनः करना. तत्पश्चात वृद्धशांति तकमे बीक यावे तो पुरकरकट के काउसग्गके पहिले इरिश्रावदी पक्किमी लोगस्स कही खमासण देके इवा० मुद्रो