________________ 24 जैनधर्मसिंधु. कार्यमे बाधकारी न होता हे. और गर्नपातमें तीन दिनका सुतक होता है. अन्य वंशवालेके मृत्यु हुए, वा जन्म हुए विवाहित पुत्रिकों सूतकवालेके अन्न के खानेसें, श्न सर्वमें तीनदिनका सूतक होता. है। अन्न नही खानेवाले बालकका सूतक तीन दिनका होता है। श्राउ वर्षसे कम ऐसें बालकका जी त्रिना गोन सूतक होता है. स्वस्ववर्णानुसार सूतकके अंत में जिनस्तव महोत्सवादि और साधर्मिकवात्सल्या दि करना, जिससेंकल्याणप्राप्ति होवे. // इति अंत्य संस्कार विधिः // तत् समाते समाप्तोयं अष्टम परिछेदः शिवमस्तु सर्वजगतः, परहित निरता जवंतु नूत गणाः // दोषाः प्रयांतु नाशं, सर्वत्र सुखिनो जवंतु लोकाः // लेखकपाठकयोः शिवमस्त्वीति // // इति प्रथम विनागः समाप्तः // -