Book Title: Gems Of Jaina Wisdom
Author(s): Dashrath Jain, P C Jain
Publisher: Jain Granthagar

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Page 96
________________ austerities/penance; who are protected by the cover of eighteen thousand supplementary moral vows, who have got thirty six essential attributes, whose glamour is much more than that of the sun and moon and who are capable and heroic in opening the gate of the temple of salvation. गुरवः पान्तु नो नित्यं ज्ञानदर्शन नायकाः। चारित्रार्णव गंभीरा, मोक्षमार्गोपदेशकाः।।5।। जो (ज्ञानदर्शन नायकाः) सम्यकज्ञान व सम्यग्दर्शन के स्वामी हैं, (चारित्र) सम्यक्चारित्र के पालने में (आर्णवगंभीरा) समुद्र के समान गंभीर हैं, (मोक्षमार्गोपदेशकाः) भव्यों को मुक्तिमार्ग का उपदेश देने वाले हैं; वे (गुरवः) आचार्यदेव/गुरुदेव (वो) हमारी (पान्तु) रक्षा करें। May such Āchāryas save us who are the master of right faith and right knowledge; who are as deep as ocean in observing, adopting right conduct and who successfully/ effectively preach the path of salvation to those who are capable to attain salvation. प्राज्ञः प्राप्तसमस्त शास्त्र हृदय, प्रव्यक्तलोकस्थितिः। प्रास्ताशः प्रतिभापर प्रशमवान् प्रागेव दृष्टोत्तरः।। प्रायः प्रश्नसहः प्रभुः परमनो हारी परानिन्दया। ब्रूयाद्धर्मकथां गणी गुणनिधिः, प्रस्पष्ट मिष्टाक्षरः।।6।। जो (प्राज्ञः) बुद्धिमान हैं, (प्राप्तसमस्तशास्त्रहृदयः) समस्त शास्त्रों के रहस्य के ज्ञाता हैं, (प्रव्यक्तलोकस्थितिः) लोक-व्यवहार को उत्तम रीति से जानने वाले अथवा लोक स्थिति के प्रकट ज्ञाता हैं, (प्रास्ताशः) संसार में निस्पृह हैं, (प्रतिभापरः) समयानुसार द्रव्य-क्षेत्र-काल के पारखी/आगे-आगे होने वाले शुभाशुभ को जानने में प्रतिभा सम्पन्न (प्रशमवान्) राग-द्वेष रहित (प्रागेव दृष्टोत्तरः) प्रश्नों के उत्तर पहले ही जिनके मन में तैयार रहते हैं, (प्रायः प्रश्नसहः) किसी के द्वारा बहुत प्रश्नों के पूछे जाने पर भी जिन्हें कभी क्रोध नहीं आता, (प्रभुः) सब लोगों पर जिनका प्रभाव है, (परमनोहारी) दूसरों के मन को जो हरने वाले हैं, (प अनिन्दया) दूसरों की निन्दा से रहित हैं, (धर्मकथां ब्रूयाद्) धर्मकथा को कहने वाले हैं, (गुणनिधिः) गुणों के खानि हैं, (प्रस्पष्ट मिष्टाक्षरः) अच्छी तरह स्पष्ट व मधुर वाणी है जिनकी; ऐसे गुणों से युक्त (गणी) आचार्य परमेष्ठी होते हैं। 94 Gems of Jaina Wisdom-IX

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