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Four hundred fifty eight chaityalayas of middle universeThere are 326 natural chaityalayas on the mountains named Vaksär giri, Ruchaka giri, Kundal giri, Rajatāchal/Vijayārdha, Manushottara Kulāchal, Iswākāra giri and on Devakuru and Uttarakuru.
Note The nunber of natural chaityalayas in middle universe comes to be 458 only. In case 80 natural chaityālayas of five merus and 52 natural chaityalayas of Nandiswaradweep are added to the aforementioned figure of 326.
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नन्दीश्वर - सद्वीपे नन्दीश्वर - जलधि - परिवृते धृत-शोभे । चन्द्र-कर-निकर-सन्निभ - रुन्द्र- यशो वितत - दिड़ - मही - मण्डलके ।। 11 ।। तत्रत्याञ्जन-दधिमुख- रतिकर - पुरु- नग - वराख्य- पर्वत - मुख्याः । प्रतिदिश- मेषा - मुपरि त्रयोदशेन्द्रार्चितानि जिनभवनानि ।। 12 ।। (चन्द्रकार-निकर-संनिभ-रुन्द्र- यशा- वितत - दिड. - महीमंडलके) चन्द्रमा की किरणों के समूह के समान सघन यश से जिसने समस्त दिशाओं का समूह और समस्त पृथ्वीमंडल व्याप्त कर दिया है; अर्थात् जिसकी कीर्ति पृथ्वी पर फैल रही है, ( नन्दीश्वर - जलधि - परिवृते) नन्दीश्वर नामक सागर से घिरा हुआ (धृतशोभे ) जो शोभा को धारण करने वाला है, ऐसे (नन्दीश्वर सद्वीपे ) नन्दीश्वर नामक शुभ द्वीप में (प्रतिदिश) प्रत्येक दिशा में (तत्रत्या-अञ्चन - दधिमुख - रतिकर पुरु नग - वराख्य) वहाँ के अंजनगिरी, दधिमुख, रतिकर इन श्रेष्ठ नाम वाले (त्रयोदश पर्वत मुख्याः) तेरह मुख्य पर्वत हैं (एषाम् उपरि ) इनके ऊपर ( इन्द्र अर्चितानि ) इन्द्रों से पूजित (त्रयोदश - जिन भवनानि ) तेरह जिनभवन हैं ।
Chaityalayas of Nandiswara dweepa - There upon the island of Nandiswara which is surrounded by the ocean of Nandiswara, do exist thirteen chaityalayas/temples of Jinas in the four sub-directions of each direction making the total 52. In each direction there are thirteen chaityālayas / temples of Jinas One on the top ofAnjana Giri, four in the mids of four step wells and eight on the eight corners of the step wells. There is one chaityalaya on the top of mount Anjana Giri, four chaityālayas in four step wells (one in each) named, Dadhimukh. On the eight outer corners of four step wells,
Gems of Jaina Wisdom-IX 145