Book Title: Gems Of Jaina Wisdom
Author(s): Dashrath Jain, P C Jain
Publisher: Jain Granthagar

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Page 149
________________ (भेदेन वर्णना का) विशेष रूप से अलग-अलग वर्णन क्या कहें? (सौधर्म) सौधर्म इन्द्र (स्नपनकर्तृताम्-आपन्नः) अभिषेक के कर्तृव्य को प्राप्त करता है; (रुन्द्र-चन्द्र-निर्मल यशसः शेष इन्द्राः) पूर्णमासी के चन्द्रमा के समान जिनका निर्मल यश फैला है, ऐसे अन्य इन्द्र (परिचारक भावम् इताः) सहयोग भाव को प्राप्त होते हैं, (शुभ-गुणाढयाः तद्देव्यः) उज्जवल गुणों से युक्त उनकी देवियाँ (मंगल पात्राणि बिंभ्रति स्म) अष्ट मंगल द्रव्यों को धारण करती हैं, (अप्सरसः नर्तक्यः) अप्सराएँ नृत्य करती है तथा (शेषसुराः) अन्य देवगण (तत्र) वहाँ (लोकन व्यग्रधियः) उस अभिषेक के दृश्य को देखने में दत्तचित्त रहते हैं। It is unnecessary here at, to describe this worship in great details. Saudharma Indra performs/discharges the duty of the bathing ceremony of the idols of Jina. Other Indras (lords of celestial beings) whose reputation is as pervasive as the light of the full moon-do co-operate there in. Highly meritorius spouses (goddesses) there of, upholds an auspicious objects. Celestial fairies present fascinating dances on this ocassion; and other celestial beings do attend lovely view the scenerio of this bathing ceremony. Note- The eight auspicious objects mentioned here in are Ambrellas, flag, pitcher, whiskers, swāstika, pitcher with stand/jhāry, bell and clean mirror. वाचस्पति-वाचामपि, गोचरतां संव्यतीत्य यत्-क्रममाणम्। विबुधपति-विहित-विभवं, मानुष-मात्रस्य कस्य शक्तिः स्तोतुम्।। 17।। (यत्) जो महामह पूजन (विबुधपति-विहित-विभवं) इन्द्रों के द्वारा विशेष वैभव से सम्पन्न होता है, (वाचस्पति-वाचाम्-अपि) वृहस्पति के वचनों की भी (गोचरतां) विषयता को (संव्यतीत) उल्लंघन कर (क्रमामाणं) प्रवर्तमान है; (स्तोतुं) उस महामह पूजन की स्तुति करने के लिये (कस्ये मानुष मात्रस्य शक्तिः) किस मनुष मात्र की शक्ति/सामर्थ्य हो सकती है? The greatness of the worship Mahāmaha; which is performed by the lords of celestial beings with all their splender/magnanimuty can not be comprehensively described by the preceptor of gods named "Brihaspati". How can any human being be capable to do so. Gems of Jaina Wisdom-IX – 147

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