Book Title: Gems Of Jaina Wisdom
Author(s): Dashrath Jain, P C Jain
Publisher: Jain Granthagar

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Page 178
________________ साहित्यिक उल्लेख संकलित हैं। सभी लेखकों के विवरण भी ग्रंथ में उपलब्ध हैं। एक विशिष्ट संदर्भ ग्रंथ। जैन वाड्मय रत्न कोश सं.- आचार्य अशोक सहजानन्द सैट (चार खंड) 3000 रु. ग्रंथराज वही है जो हमारी आत्मचेतना को जगा दे, जिसमें उच्च-चिंतन हो और जीवन-सत्य का प्रकाश हो। जैन धर्म-दर्शन की वास्तविकता को समझने के लिए मात्र यही एक कोश पर्याप्त है। इसमें चारों वेदों का सार है। आप घर बैठे चारों धाम की यात्रा का आनन्द ले सकते हैं। गृहस्थ में रहते हुए भी संन्यास को यथार्थ रूप में अनुभव कर सकेंगे। हर पुस्तकालय के लिए आवश्यक रूप से संग्रहणीय ग्रंथराज। जैन वाडमय में तीर्थकर एवं अन्य महापुरुष प्रो. प्रकाश चन्द्र जैन 400 रु. इस कृति में सृष्टि-क्रम एवं काल-विभाजन के वर्णन के साथ ही जैन धर्म की प्राचीनता को सिद्ध किया गया है। चौदह कुलकर, बारह चक्रवर्ती, बलभद्र, नारायण, प्रति-नारायण, रुद्र, नारद, कामदेव आदि के वर्णन के साथ चौबीस तीर्थंकर एवं उनके माता-पिता का प्रामाणिक वर्णन है। एक विशिष्ट संदर्भ ग्रंथ। संस्कृत-प्राकृत का समानांतर अध्ययन डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव 200 रु. ___इस कृति में प्राकृत-संस्कृत के समानांतर तत्वों का सांगोपांग अध्ययन हैं। प्राकृत. 'वाङ्मय में प्राप्त उन सारस्वत तत्वों की ओर संकेत है जिनसे संस्कृत वाङ्मय के समानांतर अध्ययन में तात्विक सहयोग की सुलभता सहज संभव है। धनंजय नाममाला सं.- आचार्य अशोक सहजानन्द 200 रु. 'धनंजय नाममाला' कविराज श्री धनंजय कृत शब्दकोश है, जिसमें गागर में सागर भरा हुआ है। शब्दों को समझने के लिए तथा आगमों व अन्य ग्रंथों के रहस्य को समझने के लिए विशिष्ट बोधिदायक ग्रंथ है। इसमें एक-एक शब्द के अनेक अर्थ को बताने के साथ, शब्द बनाने की प्रक्रिया को भी समझाया गया है। गणित और गणितज्ञ प्रो. लक्ष्मी चन्द्र जैन 300 रु. इस पुस्तक में गणित की महत्वपूर्ण तिथियों, आकृतियों एवं संदृष्टियों के विवरण के साथ इतिहास में भारतीय गणितज्ञों का स्थान, भारतीय लोकोत्तर गणित, गणित के मूल आधार और संरचनाओं के विकास जैसे महत्वपूर्ण विषयों का समावेश है। साथ ही विश्व के महान गणितज्ञों के जीवन-वृतान्त भी उपलब्ध हैं। 176 Gems of Jaina Wisdom-IX

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