Book Title: Gems Of Jaina Wisdom
Author(s): Dashrath Jain, P C Jain
Publisher: Jain Granthagar

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Page 163
________________ मणियों से निर्मित पत्तों की सघन छाया से युक्त (श्रीमान् अशोकवृक्षः) श्री शोभायुक्त ऐसा अशोकवृक्ष था। Description of eight splanders. Ashoka tree was accessively charming having the branches made of fine gems of barley and sub-branches having beautiful leaves and soft sprouts and with the shade/shadow of leaves of green gems (emaralds). मन्दार-कुन्द-कुवलय-नीलोत्पल-कमल-मालती-बकुलाद्यैः। समद-भ्रमर-परीतै-यामिश्रा पतति कुसुम-वृष्टि-नमसः।। 53 ।। (समद-भ्रमर-परीतैः) मदोन्मत भ्रमरों के गुंजार से युक्त (मन्दार-कुन्द-कुवलय-नील-उत्पल-कमल-मालती-बकुलाद्यैः) मन्दार-कुन्द, 'कुमुद (रात्रि में विकसित होने वाले कमल) नील कमल, श्वेत कमल, मालती, बकुल आदि (व्यामिश्रा)-मिले हुए पुष्पों के द्वारा (नभसः) आकाश से (कुसुमवृष्टिःपतति) पुष्प वृष्टि होती रहती है। Raining of flowers - There upon shri Jinendra deva, constantly rains from sky the divine flowers of mandāra, kunda, lilies, blue lotuses, white lotuses, bakul (memusops elengi) etc. which attracts intoxicated black bees making buzzing sound. कटक-कटि-सूत्र-कुण्डल-केयूर-प्रभूति-भूषितांगौ स्वंगौ। यक्षौ कमल-दलाक्षौ, परि-निक्षिपतः सलील-चामर-युगलम् ।।54 ।। (कटक कटिसूत्र-कुण्डल-केयूर-प्रभृति-भूषितांगो) स्वर्णमय कड़ा-मेखला, करधनी-कंदोरा, कुण्डल-कर्णाभरण और बाजूबन्द आदि आभूषणों से सुशोभित अंग/शरीर वाले (स्वंगौ) सुन्दर शरीर सम्पन्न तथा (कमल-दल-अक्षौ) कमल के दल समान नेत्रों वाले (यक्षौ सलील चामर-युगलम्) दो यक्ष लीला पूर्वक चामर युगल को (परिनिक्षिपतः) ढोरते हैं। Whisker - The Yakshas one on each side of shri Jinendra deva - who are well ornamented with golden brasslet (mekhala), vest (belt), kardhani, ear rings (kundala), armlets etc. whose bodies are charming and whose eyes are as beautiful as lotus leaves continue to move whiskers forever. Gems ofJainaWisdom-IX. 161

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