Book Title: Gems Of Jaina Wisdom
Author(s): Dashrath Jain, P C Jain
Publisher: Jain Granthagar

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Page 171
________________ Worshippable by the lord of forteen jewels :- I pay respectful obeisance to the lord of three universes shri Jinendra deva, who is respectfuly adored and eulogiesed by great wheel wielding emperors-master of forteen jewels named army chief, skilled artist, chief accountant of the house hold, elephant, horse, chief queen, sudarshana wheel, charma ratna (skin jewel), diadem, kānkini ratna (breshlet), chief priest, umbrellas, sword and the jewel of rod . पद्मः कालो महाकालः सर्वरत्नश्च पांडुक, नैसो माणवः शंखः पिंगलो निधयो नव। एतेषां पतयः प्रणमन्ति यस्य, तस्मै नम-स्त्रिभुवन-प्रभवे जिनाय ।। 10।। ( पद्मः कालः महाकालः सर्वरत्नः च पांडुकः नैसर्पः माणवः शंखः पिंगला) पद्मः, महापा, काल, महाकाल, सर्वरत्न, पांडुक, नैसर्प, माणव, शंख, पिंगला ये (नवनिधयः) नव निधियाँ हैं; (एतेषां पतयः) इन निधियों के स्वामी चक्रवर्ती (यस्य) जिनके चरणों में (प्रणमन्ति) नमस्कार करते हैं; (तस्मै) उन (त्रिभुवनप्रभवे) तीन लोक के नाथ (जिनाय) जिनेन्द्र देव के लिये (नमः) नमस्कार हो। - Adored by the lord of nine treasures. I pay respectful obeisance to the lord of three universes shri Jinendra deva; who is worshipped by the wheel wielding emperor, master of nine treasures named Padma, Mahāpadma, Kāla, Mahākāla, Sarvaratna, Pānduka, Naisarpa, Mānava, Sankh and Pingala. खविय-घण-घाइ-कम्मा, चउतीसातिसयविसेसपंचकल्लाणा। अट्टवरपाडिहेरा अरिहंता मंगला मज्झं।। 11|| (खवियघणघाइकम्मा) क्षय कर दिया है अत्यंत दुष्ट ऐसे घातिया कर्मों का समूह जिसने; जो (चउतीसा अतिसयविसेसपंचकल्लाणा) ३४ अतिशय विशेष व गर्भादि पंचकल्याणक से युक्त हैं, (अटवर पाडिहेरा) उत्कृष्ट आठ प्रतिहार्यों को प्राप्त हुए हैं; ऐसे (अरिहंता) अर्हन्त परमेष्ठी (मज्झ) मेरे लिये (मंगला) मंगल हो। Gems ofJaina Wisdom-IX.169

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