Book Title: Gems Of Jaina Wisdom
Author(s): Dashrath Jain, P C Jain
Publisher: Jain Granthagar

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Page 168
________________ (यस्य) जो जिनेन्द्र देव (भाषा-प्रभावलय-विष्टर-पुष्पवृष्टिः पिण्डिद्रुमः त्रिशदूंदुभि चामराणि-छत्रत्रयोग) दिव्य-ध्वनि, भामंडल, सिंहासन, पुष्प-वृष्टि, अशोक-वृक्ष, देव-दुंदुभि, ६४ चंवर, तीन छत्र रूप आठ प्रतिहार्यों से (सहितानि) सहित (लसंति) शोभा को प्राप्त हो रहे हैं (तस्मै); उन (त्रिभुवनप्रभवे) तीन लोक के नाथ (जिनाय) जिनेन्द्र देव के लिये (नमः) नमस्कार हो। Eight splendours in samavasarava:- I pay respectful obeisance to shri Jinendra deva, lord of three universes seated in samavasarana pavilion, beautified by (adorned with) eight splendours - divine sound, halo, throne, raining of celestial flowers, Ashoka tree, celestial musical instrument 'dundubhi', sixty four whiskers and three umbrellas. निग्रंथ-कल्प-वनिता-व्रतिका भ-भौम, नागस्त्रियो भवन-भौम-भ-कल्पदेवाः। कोष्ठस्थिता नृ-पशवोअपिनमन्ति यस्य, तस्मै नम-स्त्रिभुवन-प्रभवे जिनाय ।। 511 (यस्य) जिनके चरण कमलों में (कोष्ठस्थिता) बारह सभाओं में स्थित (निग्रंथकल्पवनितावतिका भभौम नागस्त्रियों भवन भौम-भकल्पदेवााः नृ-पशवः अपि) १. मुनि २. कल्पवासिनी देवियाँ ३. आर्यिका ४.ज्योतिषी देवियाँ ५. व्यन्तर देवियाँ ६. भवनवासी देवियाँ ७. भवनवासी देव ८.व्यन्तर देव ६.ज्योतिषी देव १०. कल्पवासी देव ११. मनुष्य और १२. तिर्यंच भी (नमान्त) नमस्कार करते हैं; (तस्मै) उन (त्रिभुवन-प्रभवत) तीन लोक के स्वामी (जिनाय) जिनेन्द्र देव के लिये (नमः) नमस्कार हो। Twelve meeting halls of samavasarana - I pay respectful obeisance to shri Jineņdra deva lord of three universes - under whose lotus feet in the samavasarana pavilian, there are twelve meeting halls respectively and saparately for munies (monks), goddesses dwelling in kalpās (heavens), female saints (aryikas), stellar goddesses, mansion dwellers gods, perepatetic gods, stellar gods, kalpa dweller gods, men and animal beings. All those assembled in these twelve meeting halls do also constantly pay obeisance to shri Jinendra deva. 166 Gems of Jaina Wisdom-IX

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