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जिनालयों की संख्या (चतुरधिकाशीतिः अतः पंचकशून्येन च सप्तनवति सहस्त्र गुणिता विनिहतानि अथ त्रिसहिता विंशतिः प्रोक्ता) पाँच शून्य से गुणा किये गये चौरासी अर्थात् ८४ लाख एक हजार से गुणा किये गये संतानवे अर्थात् ६७ हजार और तीन सहित बीस अर्थात् २३ अर्थात कल्पवासी और कल्पातीत देवों के अकृत्रिम चैत्यालयों की संख्या ८४ लाख ६७ हजार २३ है।
Description of the natural chaityālayas of stellar and vehicled dweller gods, Each and every vehicle of stellar gods has got one natural chaityālaya. All these chaityālayas are being revered and worshipped by stellar gods concerned. The total number of chaityālayas existing in the sixteen heavens (kalpas) of various classes and those of much extensive kalpātitas. (celestial habitates over and above kalpās i.e. in nine graivaiyakas and nine anudisas and five anuttaras) belonging to Ahamindras is 84 lacs 97 thousand and twenty three.
Note- Of these above mentioned chaityālayas the number of chaityālayas in kalpās is 84 lacs, 96 thousand and seven hundred (8496700) and that of the chaityālayas of kalpātitas is 323 only.
अष्टापञ्चाशदतश्-चतुःशतानीह मानुषे च क्षेत्रे। लोकालोक-विभाग-प्रलोकनाऽ ऽलोक-संयुजांजय-भाजाम्।। 7।।
(लोक-अलोक-विभाग-प्रलोकनालोक-संयुजां) लोक और अलोक के विभाग को देखने वाला प्रकाशपुंज-केवलज्ञान-दर्शन से सहित, (जयभाजां) घातिया कर्म रूपी शत्रु का नाश कर सर्वत्र विजय को प्राप्त; ऐसे भगवान् अरहन्त देव के अकृत्रिम जिनालय (इह मानुषे च क्षेत्रे ) इस मनुष्य लोक में (अष्टापञ्चाशदतः चतुः शतानि) चार सौ अठावन हैं।
The number of nautral chaityālayas of human region- The number of natural chaityālayas of the Jinas ( Arihantas)-who have conquered the enemies named four fatal karmas, who have omnisient and omnipercept and who do directly know and perceive the universe and non-universe in the human universe is four hundred fifty eight (458) only.
Gems of Jaina Wisdom-IX . 143