Book Title: Gems Of Jaina Wisdom
Author(s): Dashrath Jain, P C Jain
Publisher: Jain Granthagar

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Page 126
________________ महावीर का जीव (आषाढ-सुसित-षष्ठ्यां ) आषाढ शुक्ला षष्ठी के दिन (शशिनि) चन्द्रमा के (हस्तोत्तर-माध्यम-आश्रितों) हस्तोत्तरा नक्षत्र के मध्य स्थित होने पर, (स्वर्गसुखं-भुक्त्वा) स्वर्ग के सुखों को भोगकर, (भारतवास्य) भारतवर्ष में (विदेहकुण्डपुरे) विदेह क्षेत्र के कुण्डपुर नगर में (सु-स्वप्नान् संप्रदर्श्य) उत्तम स्वप्नों को दिखाकर (प्रियकारिण्यां) प्रियकारिणी (देव्यां) देवी (सिद्धार्थ-नृपति-तनयः) सिद्धार्थ राजा का पुत्र होता हुआ (आयातः) आया था। The mundane soul of lord Mahāvir, who was the lord of the celestial vehicle named Pushpottara-after enjoying celestial pleasures for long, came into womb of the great queen Priyakaarini of king Siddhārtha in the city of Kundagrām of Bharat region on the sixth day of the bright fortnight of the month of Aasaada; when the moon arrieved in the center of Hastottara naksatra. At the time of conception mother Priyakaarini saw excellent dreams. In this way the mundane soul concerned come to be the son of king Siddhārtha. चैत्रसितपक्षफाल्गुनि शशांकयोगे दिने त्रयोदश्याम्। जज्ञेस्वोच्चस्थेषु ग्रहेषु सौम्येषु शुभलग्ने।। 511 हस्ताश्रिते शशांके चैत्र ज्योत्सने चतुर्दशीदिवसे। पूर्वान्हे रत्नघटैर्विबुधेन्द्राश्चक्रुरभिषेकम् ।। 6।। (चैत्र-सित-पक्ष-फाल्गुनि-शशांकयोगे-त्रयोदश्याम् दिने) चैत्रमास शुक्लपक्ष तेरस के दिन जब उत्तरा-फाल्गुनी नामक चन्द्र योग था, (सौम्येषु ग्रहेषु स्व-उच्चस्थेषु-जज्ञे) शुभग्रह अपने-अपने उच्चस्थान पर स्थित थे, (शुभलग्ने) शुभलग्न था, (शशांक्ड़े हस्ताश्रिते) चन्द्रमा हस्त नक्षत्र पर स्थित था तथा (चैत्र ज्योत्सने) चैत्र की चांदनी छिटकी हुई थी-तभी शुभ बेला में महावीर भगवान का जन्म हुआ था। (चतुर्दशी दिवसे) चतुर्दशी के दिन (पूर्वाहे) प्रातःकाल में (विबुधेन्द्राः) देवों के इन्द्र-देवेन्द्रों ने (रत्नघटैः अभिषेकं चक्रः) रत्नमय कलशों से उन वीर जिन का अभिषेक किया था। Lord Mahāvira was born on the thirteenth day of the bright fortnight of the month of Chaitra, when the moon 124 Gems of Jaina Wisdom-IX

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