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- यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि व्यक्ति सदा वर्तमान से असन्तुष्ट रहता है । उसके मन मे वर्तमान के प्रति असन्तोष छुपा रहता है । वस्तुत यह असन्तोप व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र की प्रगति का मुख्य तत्त्व है, जो उन्हे खडे होने और कठिनाइयो से मघर्ष करने की प्रेरणा देता है । यह एक सर्वविदित तथ्य है कि वर्तमान की सीमा मे ही सन्तुष्ट रहने वाले व्यक्ति अथवा राष्ट्र कभी भी आगे नहीं बढ सकते। उनकी कर्तृत्व शक्ति समाप्त प्राय हो जाती है। उनकी गति-प्रगति अवरुद्ध हो जाती है ।
असन्तोष अनेकानेक समस्याओ को जन्म देता है । समस्याओं के समाधान के लिए फिर प्रयत्न-पूरुपार्थ जागता है । व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र का प्रयत्न-पुरुषार्थ जागृत होते ही प्रगात एक उन्नति के शत-शत द्वार स्वत ही उद्घाटित होते चले जात ह । फिर अभ्युदय तथा नि श्रेयस उनके समीप मे स्वत आ उपस्थित हा जाते है।
८ } चिन्तन-कण