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विश्व के रगमच पर कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते है, जिन का जीवन सम्प्रदाय, पथ, समाज अथवा देश की सीमा - रेखाओ से परे होता है । वे किसी एक सीमा मे आबद्ध हो कर नही जीते । उन का जीवन सार्वभौमिक होता है । इस मुक्त श्रेणी मे सन्त, कवि और कलाकार आ जाते हैं । ये समस्त भूमण्डल के होते हैं । इनके लिए अपने पराये का कोई प्रश्न ही नही होता । इनके हृदय मे प्राणी मात्र के प्रति कल्याण-कामना रहा करती है । इनकी वाणी प्रतिपल सर्वोदय के गान से मुखरित रहती है । इनका कर्म अथवा व्यवहार प्रेमामृत से पूरित होता है ।
चिन्तन-कण | ४७