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- निरन्तर की असफलताओ का सामना करते करते कभी कभी आदमी के मन मे गहरी निराशा घर कर लेती है। वह किसी भी काम मे दिलचस्पी नही लेता फिर, इसी डर से कि कही उसमे भी असफलता ही उसके हाथ न लगे। जीवन ही उसके लिए व्यर्थ हो जाता है उत्साह भग की स्थिति में पहुंचकर। फिर किसी भी चीज मे उसके लिए आकर्षण नही रह जाता। उसका मन ऊब से भर उठता है । ऊब का अर्थ ही है अभिरुचि का अभाव, उम्मीदो की मौत ।
सफलता के आकाक्षी मानव को समझना चाहिए कि प्रत्येक असफलता मनुष्य के साहस को एक चुनौती है । चुनौती का दृढता पूर्वक आत्मविश्वास के साथ सामना कीजिए, पीठ न दिखाइए। हर मिलने वाली असफलता को भावी सीढी बनाइए, आगे बढने के लिए फिर आशा का दीप अपने आप मन मे जल उठेगा। ऊव की अधियारी फट जाएगी, सफलता का नव विहान आपका स्वागत करेगा। फिर मापका जीवन खुशियो से भर उठेगा।
चिन्तन-कण | ५६