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। यदि समाज अथवा राष्ट्र को गत्यवरोध की दशा से मुक्त कर, गतिशीलता एव प्रगति की दशा मे परिणत करना है तो समाज एव राष्ट्र की सेवा के लिए ज्ञान का अधिकतम उपयोग करने की आकाक्षा एव सकल्प होना चाहिए । जीवन मे ज्ञान का पर्याप्त महत्व हो, इसके लिए ज्ञान के केन्द्रो का भी अपना महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व है। उनकी भूमिका का एक बहुत बडा योग है। विश्वविद्यालयो को अपने छात्रो मे सामाजिक एव राष्ट्रीय उत्तरदायित्व की भावना विकसित करने का कार्य भी करना चाहिए । ज्ञान और दायित्वभावना का साथ-साथ विकास होना आवश्यक है । क्योकि यह ही एक ऐसी निर्माणशाला है जहाँ शालीनता एव उत्तरदायित्व को समझने वाले मानवो का निर्माण हो सकता है । मानव-मन मे यही पर ज्ञानाकुर प्रस्फुटित किए जा सकते हैं।
चिन्तन-कण | ९५