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[ अधेरी रात तथा असमय मे ऊबड खाबड पहाडी सडको, झाडियो और वृक्षो से होकर गुजरने वाले मार्गों पर, जहाँ जगली जानवरो, सापो आदि का भय रहता है, वहाँ लालटेन अथवा टॉर्च एक विश्वसनीय साथी है । वह मार्ग दर्शन के साथ-साथ जगली जानवरो एव जीव जन्तुओ से भी सावधानी रखने के लिए प्रकाश देती है, वचने की राह बतलाती है । ठीक इसी प्रकार साधक भी एक यात्री है । उसे भी काम, क्रोध, मोह, लोभ आदि जगली जानवरो और माया आदि सर्पों से भरे हुए पथ पर अज्ञान की अधकार पूर्ण रात्रि मे ज्योतिर्मय ज्ञान ही साधक का एक विश्वसनीय साथी है । जो अनेकानेक प्रकाश किरणो द्वारा उसका मार्ग आलोकित रखेगा तथा अनेक प्रकार के राग-द्वेषादि खूख्वार भयकर हिंस्र जन्तुओ से बचने के लिए सावधान रखेगा। फिर उसकी यात्रा निर्विघ्न एव निरापद रूप से सम्पन्न हो जाएगी । अत ज्ञान, सम्यग्ज्ञान को अपना सहचर - साथी बनाइए । यही एक ऐसा सच्चा मित्र अथवा साथी है जो साधक को साध्य तक वेखटके पहुंचा देता है । जीवन के कण-कण को एक अलौकिक आलोक मे भर देता है । O
६४ | चिन्तन-कण