Book Title: Chintan Kan
Author(s): Amarmuni, Umeshmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 83
________________ 0 धूप पौधे के विकास के लिए आवश्यक है, किन्तु अधिक तेज धूप, और निरन्तर की धूप पोधे को झुलसा भी देती हैं। पौधे के विकास के लिए पानी भी अत्यावश्यक है, किन्तु आवश्यकता से अधिक और निरन्तर का पानी पौवे को गला भी डालता है । उसकी जडो को समाप्त कर देता है। इसी प्रकार वालक भी एक नाजुक पौधा है। उसके विकास के लिए स्नेह का जल और अनुशासन की धूप दोनो ही आवश्यक हैं, किन्तु दोनो की अति से बालक को बचाए रखना जरूरी है। सही अनुपात का प्यार और अनुशासन उसके मन-मस्तिष्क के विकास मे अत्यन्त सहायक होता है। किन्तु इनका आधिक्य बच्चे के विकास को अवरुद्ध कर डालता है। प्यार और अनुशासन सही-सही अनुपात मे बच्चे को मिलने चाहिए। दोनो ही अतियो से उसे बचाना आवश्यक है। चिन्तन-कण | ७३

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