Book Title: Chintan Kan
Author(s): Amarmuni, Umeshmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

View full book text
Previous | Next

Page 79
________________ 0 कहावत है "जो बीत गई सो बात गई"। जो बात हो गई, वह हो गई। अब उसकी चिन्ता मे उलझे रहने से सिवाए परेशानी के और क्या होने वाला है। अतीत को वापिस नही लौटाया जा सकता । इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह समागत समस्या को उसके वर्तमान रूप मे ही लेकर उचित समाधान करे । यदि वर्तमान समस्याओ को अतीत के चश्मे से देखोगे तो समस्याएं ओर भी उलझती चली जाएंगी बजाए सुलझने के। हमे वर्तमान के सन्दर्भ में समस्याओ का समाधान खोजना है, यही हमारे लिए अधिक उपयोगी भी होगा। नदी के प्रवाह को वापिस लौटाने के प्रयास में मनुष्य अनेक उलझनो मे उलझकर रह जाता है। जब कि यह कार्य अशक्य है। यदि किसी प्रकार से नदी के प्रवाह को वापिस लौटा भी लिया गया तो उसका उपयोय क्या होगा? उस अथाह जल राशि को कहाँ और किस प्रकार से समोया जा सकेगा? यह भी एक बहुत बडा सिर दर्द बन जाएगा। जब कि वह अपने प्रवाह मे बहता हुआ समुद्र मे जा समाता है। इसलिए अपने चिन्तन प्रवाह को वापिस लौटाने के प्रयत्न मे अपनी ऊर्जा को व्यर्थ मे नष्ट मत कीजिए । अतीत के स्वर्णिम व्यामोह को छोडिए । वर्तमान मे ही जीने का प्रयत्न कीजिए। वर्तमान को श्रेष्ठ एव सुन्दरतम बनाने में अपनी ऊर्जा का समुचित उपयोग कीजिए मुक्त हदय से । फिर आपका भविष्य स्वय सुन्दरता पूर्ण होगा ऐसा विश्वास रखिए। भविष्य मे जो कुछ भी उपलब्ध होगा उसका बहुत कुछ श्रेय आप के इस वर्तमान कर्म प्रधान अनुभव को ही जाएगा। चिन्तन-कण | ७१

Loading...

Page Navigation
1 ... 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123