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- फूल के खिलने और मुरझाने की बात हजारो साल वीतने के बाद आज भी मानव जीवन के हर्ष और विषाद का प्रतीक बनी हुई है।
आज धरती का इन्सान अपने घरो की शोभा बढाने के लिए फूल तो खिलाने लग गया है, । लेकिन फूलो के जैसे गुणो को नही अपना रहा है।
फूल दूल्हे के गले मे भी डाले जाते हैं, और शव पर भी चढाए जाते हैं । फूलो की माला भगवान से लेकर इन्सान और हैवान तक के गले मे पडी देखी जा सकती है। किन्तु फूल को इस से कुछ भी लेना देना नही । वह समदर्शी है, समभावी है। वह यत्र-तत्र-सर्वत्र अपनी सुगन्ध एक समान देता है। क्या मनुष्य फूलो से ऐसा कुछ समत्व कभी सीखेगा?
चिन्तन-कण | ४५