Book Title: Chintan Kan
Author(s): Amarmuni, Umeshmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 57
________________ - मन मे उभरने वाली इच्छाओ को दबा देने की बात अभी तक हम सुनते चले आए हैं । यही कहा जाता रहा है इच्छामो को दमित करो। इच्छाओ को मारो, समाप्त करो । मैं कहता हूँ कि यह कोई- महत्व की बात नही है।. महत्वपूर्ण है जागृत होने --वाली-इच्छाओ पर नियन्त्रण करना,. वह भी सहज रूप से । एक बार पूरी शक्ति लगा कर-यदि हम अपनी इच्छाओ का दमन कर भी लेते हैं, तो आगे चल कर समय एव सयोग पाकर उनके पुन , - अस्तित्व में आने की सभावना बनी रहती है। किन्तु यदि हम -उन पर नियन्त्रण करने की कला सीख जाएंगे तो फिर हमे उन - से कोई भी खतरा नही रह जाएगा। जो इच्छाओ को.. दबाता है, -- वह अभी निचली भूमिका -पर है, और जो- उन पर नियन्त्रण करना सीख लेता है वह ऊँचाईयो का मार्ग पा जाता है। दमन एक कठोरता पूर्ण व्यवहार है, जिसकी सफलता मे सन्देह बना , रहता है। नियन्त्रण एक मैत्री पूर्ण प्रवृत्ति है, जिसमे आत्मोन्नति का रहस्य छुपा है। - . चिन्तन-कण ],४६

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