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- वैज्ञानिक की मस्तिष्क चेतना को कभी बांधकर नही रखा जा सकता। इसमे जहां बन्धन आया कि यह कुण्ठित हो जाती है। फिर नव सृजन अथवा नए आविष्कार की आशा-आकाक्षा हम नहीं रख सकते इमसे। ऐसी स्थिति मे हमारी सव अपेक्षाएं समाप्त प्राय ही समझिए। इसलिए वैज्ञानिक की मनश्चेतना अथवा मस्तिष्क को भविष्य के सपने संजोने से दूर नही किया जा सकता है, और न दूर करना हितावह ही होगा। उसके आज के सपनो मे ही आने वाले कल की समस्याओ का समाधान मिल सकेगा।
२० | चिन्तन-कन