Book Title: Chintan Kan
Author(s): Amarmuni, Umeshmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 35
________________ । परिवर्तन का अर्थ है गति । गति का अर्थ है जीवन । वदलाव जीवन की जीवन्तता का सूचक है। स्थिति का अर्थ है गतिहीनता । स्थितिवादी मन-मस्तिष्क वाला व्यक्ति कभी प्रगति कर सकेगा? इसकी संभावना बहुत कम है। स्थितिवादिता मानव को हर दृष्टि से पगु वना डालती है। उसका विकास अवरुद्ध हो जाता है । शनै शनैः वह जडता का शिकार बन जाता है। ___ आप देखते हैं, नदी का जल प्रवाह चल रहा है, गतिशील है। आने वाला पानी आगे बढ रहा हैं । पीछे आने वाले जलकण समूह रूप से उसका स्थान ले रहे है। पानी मे गतिशीलता है इस प्रकार से यह गतिशीलता, निरन्तर का प्रवाह ही उसकी स्वच्छता का मूल कारण है। यह बहता हुआ पानी नदी से अलग हट कर यदि एक गढे मे रुक जाए, स्थिर हो जाए तो आप जानते है इसका परिणाम क्या होगा? गढ़े मे कैद हुआ पानी सह जायेगा और अनेक जीवाणु उसमे उत्पन्न हो जाएंगे। वह बदबू देने लगेगा। 'उसकी स्वच्छता के लिए उसका बहना ही श्रेयस्यकर है। यही स्थिति जीवन के क्षेत्र मे भी है । जीवन की पावनता, स्वच्छता को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए उसका भी गतिशील रहेंना अर्थात् परिवर्तन की प्रक्रिया को समय-समय पर स्वीकारते रहना भी आवश्यक है। परिवर्तन से घबराइए नहीं। यह कोई हौवा नही है । इसको विचार की आँखो से देखिए, और सही रूप को स्वीकारने में हिचकिए नही । यह जीवन्त जीवन का प्रतीक है - चिन्तन-कर्ण | २७

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