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0 ज्ञान प्रेषणीय नही है । सम्प्रेषण प्रक्रिया द्वारा हम इस को अन्य तक सम्प्रेषित नही कर सकते । यह तो अन्तर से उबुद्ध एक ऐसा प्रकाश तत्त्व है, जिसे हम प्राप्त कर सकते हैं, भोग सकते हैं, अनुभूति मे ला सकते हैं। यह तो स्वय उद्बुद्ध चेतनाजगत की स्फुरणा विशेष है। जिससे अनेक अद्भुत कार्य भी सम्पादित किये जा सकते हैं।
हां, विद्या दूसरो तक अवश्य ही प्रेषित की जा सकती है। कुछ स्थूल धरातल पर आ जाने के कारण इसका सम्प्रेषण सभव बन पडता है । जबकि ज्ञान अत्यन्त सूक्ष्म आत्म तत्त्व से सबद्ध उसका अपना ही शुद्ध स्वरूप है । बुद्धि स्थूल है, इसलिए वह स्थूल को ही पकड पा सकने की सामर्थ्य रखती है, सूक्ष्म को नही। अतः विद्या प्रेषित की सकती है, ज्ञान नही । ज्ञान आत्मानुभूति की धारा है । वह सूक्ष्म है।
चिन्तन-कम | १३