Book Title: Bhavyajan Kanthabharanam
Author(s): Arhaddas, Kailaschandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७४ (१६) श्लोक पृष्ठसंख्या श्लोकः पृष्ठसंख्या सकृत्स्नकर्मक्षयहेतुरात्म- ६२ | सद्दर्शनाचारवदान्यतार्यस्थालोकमूह सिकताश्मराशिः ६७ | सदापि संन्यस्तसमस्तसंगा सम्भावयनप्रलिमैस्तपोधी- ६७ | | स्वाराज्यमेतत्सुचिरं सभायां सुखाका तत्सुहशोमाद्यम् | सज्ज्ञानमत्र क्षतभाविकर्म स्वभावतोऽत्यन्तविशुद्धिभाजो सम्यचि दृग्धीचरितान्यमूनि सम्यक्त्वमङ्गः सकलैः समः ७१ | संन्यस्य संगं सकलं विरक्त्या स्लीवेदनीचैःकुलतिर्वगायु- | सम्यक्त्वबोधाचरणानिशस्ता- ८१ सम्यक्स्पसम्रानमुदारमेनम् | सूक्त्येव तेषां भवभीरवो ये ८२ सनातिमाईस्थ्यतपोधनत्वं सनातिरत्राशुभशिल्पविद्या- ७४हरो मुहुः संहरति स्म लोकान् ? ६८शान For Private And Personal Use Only

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