Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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(२६)
ख्यातोंमें इस वंशके हिन्दीनाम चौहान, चवाण और छवान लिखे मिलते हैं। इन्हीके संस्कृत रूप चाहमान और चतुर्बाहुमान हैं । चतुर्बाहुमानकी एक मिसाल पृथ्वीराजरासेके पद्मावती खण्डमें लिखे इस दोहेसे ज़ाहिर होती है:
वरगोरी पद्मावती गहगोरी सुलतान ।
प्रिथीराज आए दिली चतुर्भुजा चौहान । भाटोंका कहना है कि अग्निकुण्डसे पैदा होते समय चौहानके चार हाथ थे । इसी आधारपर चंदने भी पृथ्वीराजको ‘चतुर्भुजा चौहान ' लिख दिया है । मगर 'मदायनुलमुईन' नामकी फारसी तवारीखमें लिखा है कि चौहानोंका राज्य चारों तरफ फैल गया था। इसीसे उनको चतुर्भुज कहते थे।
हम भारतके प्राचीन राजवंशके प्रथम भागकी भूमिकाको जो कि शिलालेखों और दानपत्रोंके आधारके सिवाय फारसी तवारीखों और भाटोंकी बहियों तथा मूतानैनसीकी ख्यात वगैरहकी सहायतासे लिखी गई है यहीं समाप्त करते हैं और साथ ही प्रार्थना करते हैं कि सहृदय पाठक भुलचूकके लिये क्षमा प्रदान करें।
।
१३ मई सन् १९२०,
जोधपुर।
देवीप्रसाद, सहकारी-अध्यक्ष, इतिहास कार्यालय,
जोधपुर ।
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