Book Title: Bharat ke Prachin Rajvansh Part 01
Author(s): Vishveshvarnath Reu, Jaswant Calej
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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नाडालके चौहानोंकी दूसरी बड़ी शाखा हाडा नामस हुई । इस ( हाडा ) शाखाके चौहान हाड़ोती-कोटा और बूंदीमें राज करते हैं ।
नाडोलक चौहानोंकी तीसरी शाखाका नाम खीची है । इस (खीची ) शाखाका बड़ा राज्य गढगागरूनमें था; जो अब कोटेवालोंके कब्जेमें है । खीचियोंसे यह राज्य मालवेके बादशाहोंने ले लिया था और उनसे दिल्ली के बादशाहोंके कब्जेमें आया और उन्होंने कोटेवालोंको दे दिया । परन्तु गागरुनके आसपास खीचियोंके कई छोटे छोटे ठिकाने राघोगढ़, मखसूदन, वगैरह अब भी मौजूद हैं।
गुजरात पर चढ़ाई करते समय तुर्कोने चौहानोंसे नाडोलका राज्य ले लिया था। मगर उनके कमजोर हो जाने पर जालोरके सोनगरा चौहानोंने नाडोल पर कब्जा करके मंडोर तक अपना राज्य बढ़ा लिया । उस समयके उनके शिलालेख मंडोरसे मिले हैं । अब भी नाडोले चौहान बावथिराद इलाके पालनपुर एजेन्सी में छोटे छोटे रईस हैं। __ रणथंभोरके चौहान राजाओंमें वाल्हणदेव, जैतसी और हम्मीर बड़े नामी राजा हुए हैं । कुंवालजीके शिलालेखमें लिखा है कि जैतसीकी तलवार कछवाहोंकी कठोर पीट पर कुठारका काम करती थी और उसने अपनी राजधानीमें बैठे हुए ही राजा जैसिंघको तपाया था ।
हम्मीरने सुलतान अलाउद्दीनके वागी मीर मोहम्मदशाहको मय उसके साथियोंके रणथंभोरमें पनाह दी थी । ये लोग जालोरसे भाग कर आये थे। सुलतानके मोहम्मदशाहको माँगने पर हमारने अपने मुसलमान शरणागतकी रक्षाके बदले अपना प्राण और राज्य दे डाला । ऐसी जवाँमर्दीकी मिसाल मुसलमानोंकी किसी भी तबारीखमें नहीं मिलती है कि किमी मुसलमान बादशाहने अपने हिन्दू शरणागतकी इस प्रकार रक्षा की हो।
हमार कवि भी था । इसने — शृङ्गारहार' नामक एक ग्रन्थ संस्कृतमें बनाया था । यह ग्रन्थ बीकानेरके पुस्तकालयमें मौजूद है ।
(1) ये नरवर और ग्वालियरके कछवाहे थे । ( २ ) यह मालवेका राजा होगाआ
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