________________
ही नहीं होती हैं अतः इनको जान लेने का खौफ दिखाकर भी डराया नहीं जा सकता हैं।
लोरेन्स (1968) के अनुसार प्राणी स्वयं के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए आक्रामक / हिंसक व्यवहार प्रदर्शित करता हैं। प्रोद्यौगिकी विकास के कारण मानव की विध्वंसात्मक शक्ति में वृद्धि हो गयी हैं तथा निषेधात्मक प्रवृत्ति में कमी आ गई हैं। प्राणी में आक्रामक / हिंसक प्रवृत्ति जन्मजात है, जैसे ही व्यक्ति को बाह्य उत्तेजना मिलती है वह इस प्रवृत्ति को अभिव्यक्त करता हैं । "
3. कुंठा आक्रामकता सिद्धांत
डोलार्ड, डूब, मिलर, मावरर तथा सियर्स ( 1939) के अनुसार "आक्रामकता सदैव किसी कुंठा का परिणाम होती है " और कुंठा सदैव आक्रामकता को जन्म देती हैं।" कुंठा से आशय लक्ष्योन्मुख व्यवहार में बाधा या रूकावट पहुँचने से हैं। व्यक्ति तथा लक्ष्य के बीच बाधा उत्पन्न होने से व्यक्ति निराशा अनुभव करता है। यही कुंठा की दशा हैं। लक्ष्य प्राप्ति की इच्छा प्रबल हो तो बाधा उत्पन्न होने पर कुंठा की तीव्रता भी बढ़ जाती हैं। परिणामस्वरूप आक्रामक व्यवहार में भी वृद्धि हो जाती हैं कुंठा से उत्पन्न आक्रामकता का प्रदर्शन सीधे उस व्यक्ति या वस्तु के प्रति होता हैं जो कुंठा उत्पन्न करने के लिये उत्तरदायी हैं। लेकिन यदि ऐसा संभव नहीं है तो आक्रामकता का विस्थापन भी हो जाता हैं अर्थात् आक्रामकता किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु के प्रति प्रदर्शित होती हैं।
-
आतंकवादियों द्वारा हिंसक या आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करने का कारण कुंठा है जो कि लक्ष्य प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होने के कारण पैदा होती हैं।
4. सामाजिक सीखना
18
-
-
आतंकवाद ने आज पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया हैं और इसी आतंकवाद ने जन्म दिया हैं मानव बम को ऐसा घातक बम जिसका तोड़ आज की तारीख तक नहीं बन पया हैं। मानव बम के मामले में लिट्टे दुनिया का सबसे खूंखार संगठन है।" एक धमाका, दिल दहला देने वाला धमका, फिर मच जाती है चीख पुकार और चारों तरफ बिखरे दिखाई देते हैं इंसानी जिस्म के चिथड़े चिथडे । मानव बम बनाये जाने का भी अपना एक इतिहास है यह जापानी बौद्धों की देन मानी जाती हैं जब जापान में बौद्ध धर्म अपने विकास के लिए संघर्षरत था, तभी धर्म के लिये अपने को बलिदान करने का यह विध्वंसक तरीका अपनाया गया। मानव बम की असली शुरूआत 20 वीं सदी में मानी जाती हैं जो ओकोनावा युद्ध के नाम से मशहूर हैं। इसका सबसे क्रूरतम रूप दिखा न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर किया गया हवाई हमला मानव बम बनाने की प्रक्रिया जन्म से ही शुरू हो जाती हैं जो माता-पिता लिट्टे के समर्थक होते हैं वे अपना एक बच्चा लिट्टे को समर्पित कर देते हैं उन्हें बचपन से ही तमिलों पर सिंहलियों के अत्याचार की कथाएँ सुना सुनाकर नफरत के बीज बोये जाते हैं। बच्चा जब दस साल का होता है तो उसे लिट्टे को सौंप दिया जाता है जहां उसे पांच साल तक शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण दिया जाता हैं उसके बाद उसे दो साल तक शरीर में विस्फोटक बांधने का प्रशिक्षण दिया जाता है यह दुनिया का सबसे कठोर प्रशिक्षण है आजकल कई जगह आतंकवाद का प्रशिक्षण देने के केन्द्र स्थापित हो चुके हैं।
Jain Education International
बान्डुरा व वाल्टर्स (1963) के अनुसार आक्रामक / हिंसक व्यवहार सीखा गया व्यवहार हैं। व्यक्ति आक्रामक व्यवहार को सीखता है साथ ही यह भी सीखता है कि किन किन
अर्हत वचन, 14 (4), 2002
-
For Private & Personal Use Only
-
www.jainelibrary.org