Book Title: Arhat Vachan 2002 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 115
________________ मुम्बई वि. वि. द्वारा दिनेशभाई मोदी पुरस्कार 2002 हेतु निबन्ध आमंत्रित मुम्बई विश्वविद्यालय द्वारा दिनेशभाई मोदी पुरस्कार - 2000 के लिये ' महात्मा गांधी के जीवन में श्रीमद् राजचन्द्र का आध्यात्मिक प्रभाव' विषय पर निबन्ध आमंत्रित हैं। निबन्ध गुजराती, हिन्दी, मराठी या अंग्रेजी में टाईप किया झुआ अथवा हाथ से लिखित फुल स्केप कागज के 40 पृष्ठों से अधिक का नहीं होना चाहिये। प्रत्येक निबन्ध के सीलबन्द लिफाफे के ऊपर लेखक के हस्ताक्षर युक्त एक प्रमाण पत्र होना चाहिये कि यह लेख उनका स्वलिखित निबन्ध है। साथ ही लिफाफे पर पुरस्कार का नाम, वर्ष तथा निबन्ध का नाम लिखित होना चाहिये। लेख भेजने का पता - उपरजिस्ट्रार, मुम्बई.वि.वि., स्कालरशिप सेक्शन, कमरा नं. 35, प्रथम मंजिल, महात्मा जोतीराव फूले भवन, विद्यानगरी, कलिना केम्पस, सांताक्रुज (पूर्व), मुम्बई-4000981 बधाई 'जैन प्रचारक के सम्पादक एवं वरिष्ठ विद्वान डॉ. सुरेशचन्द्र जैन (दिल्ली) को क्षु. गणेशप्रसाद वर्णी स्मृति पुरस्कार तथा डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन (सनावद) को उनकी शोध कृति 'जैन दर्शन में रत्नत्रय का स्वरूप' पर गुरु गोपालदास बरैया स्मृति पुरस्कार से अ. भा. दि. जैन विद्वत् परिषद के बिजौलिया अधिवेशन में 15 - 17 अक्टूबर 2002 के मध्य सम्मानित किया गया। सम्मान के अन्तर्गत रु. 5,101/- की राशि एवं प्रशस्ति प्रदान .. डॉ. सुरेशचन्द जैन 1 प्रदान डॉ. नरेन्द्रकुमार जैन दिल्ली की गई। सनावद पूज्य मुनि श्री सुधासागरजी महाराज के मंगल सान्निध्य में सम्पन्न इस कार्यक्रम का संचालन डॉ, जयकुमार जैन, मुजफ्फरनगर एवं संयोजन डॉ. सुरेन्द्रकुमार जैन 'भारती', बुरहानपुर ने किया। श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ द्वारा पत्रिका का प्रकाशन जैन दर्शन विभाग, श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ (मान्य विश्यविद्यालय), नई दिल्ली- 16 द्वारा एक पत्रिका का प्रकाशन किया जा रहा है। सभी विद्वानों/शोधार्थियों से निवेदन है कि इन दिनों यदि वे जैन विद्या या प्राकृत भाषा से सम्बन्धित किसी भी विधा में, किसी भी विश्वविद्यालय में अथवा विभाग में अथवा व्यक्तिगत रूप से कोई भी महत्वपूर्ण शोधकार्य, सम्पादन अथवा अनुवाद कार्य कर रहे हों तो उसकी परिचयात्मक पूर्ण व प्रामाणिक जानकारी हमारे पास शीघ्र भेजें। हम उसे प्रकाशित करके गौरव का अनुभव करेंगे। प्रमाण हेतु अपने शोध निर्देशक का प्रमाण - पत्र व राम्पर्क हेतु अपना पूरा नाम, पता, ई - मेल व फोन नम्बर भी भेजें। . डॉ. अनेकान्त कुमार जैन सह- सम्पादक, व्याख्याता - जैन दर्शन विभाग, श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ (मान्य विश्वविद्यालय), कुतुब सांस्थानिक क्षेत्र, नई दिल्ली - 16 अर्हत् वचन, 14(4), 2002 111 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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