Book Title: Arhat Vachan 2002 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 116
________________ श्रुत संवद्धन पुरस्कार समर्पण समारोह 1996 में औपचारिक रूप से मेरठ में स्थापित श्रुत संवर्द्धन संस्थान ने अपनी स्थापना के विचार के प्रारम्भिक चरण में ही विद्वत्जनों का सम्मान करना प्रारम्भ कर दिया था। संस्थान के प्रेरणास्रोत परम पूज्य उपाध्यायरत्न श्री ज्ञानसागरजी महाराज की विद्वानों को सम्मानित कराने में विशेषरूचि को दृष्टिगत कर संस्थान ने 5 वार्षिक श्रुत संवर्द्धन पुरस्कारों की स्थापना की है। प्रत्येक पुरस्कार के अन्तर्गत रु. 31,000/- की नगद राशि, शाल, श्रीफल एवं प्रशस्ति प्रदान की जाती है। वर्ष 1991 (2), 1997 (4), 1998 (5), 1999 (5), 2000 (5), 2001 (5) में कुल 26 विद्वानों को सम्मानित किया गया। वर्ष 2002 के पुरस्कारों से निम्नवत् 5 विद्वानों को 12 दिसम्बर 2002 को आगरा में सम्मानित किया गया -- 1. आचार्य शांतिसागर छाणी स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार-2002 पं. सागरमल जैन, दुर्गा चौक, तलैया, भारती टेलर्स के सामने, विदिशा - 464001 (म.प्र.)। 2. आचार्य सूर्यसागर स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार - 2002 पं. लालचन्द्र जैन ‘राकेश', नेहरू चौक, गली नं. 4, गंजबासौदा - 464001 (म.प्र.)। 3. आचार्य विमलसागर (भिण्ड) स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार - 2002 श्री पारसदास जैन, 10, अंसारी रोड़, दरियागंज, दिल्ली। 4. आचार्य सुमतिसागर स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार - 2002 ___ डॉ. कमलेशकुमार जैन, बी. 2/249, रवीन्द्रपुरी, वाराणसी - 221005 (उ.प्र.)। 5. मुनि वर्द्धमानसागर स्मृति श्रुत संवर्द्धन पुरस्कार - 2002 ___ श्रीमती माधुरी जैन, 1137, संघीजी का रास्ता, किशनपोल बाजार, जयपुर - 31 अप्रैल 2000 में रु. THAN 1,00,000/- की सम्मान मायामानानामहालत कसाना राशि सहित उपाध्याय जाई हा दी नीति लाई प्राधिकारी श्री ज्ञानसागर श्रुत संवर्द्धन उपाध्यायज्ञानसागाशतसवटनपरस्कार ARORE पुरस्कार की स्थापना की गई। वर्ष 2001 का पुरस्कार समाज बाSAAMSHER सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य हेतु धर्मस्थल के धर्माधिकारी राजर्षि डॉ. डी. वीरेन्द्र हेगड़े को 18 दिसम्बर 2002 को पूज्य उपाध्यायश्री के ससंघ सान्निध्य में आगरा में समर्पित किया गया। श्री हेगड़े ने पुरस्कार चयन समिति एवं संस्थान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि श्रुत संवर्द्धन संस्थान का कार्य आप लोग बहुत अच्छे ढंग से कर रहे हैं। अत: मैं यह राशि एवं प्रशस्ति स्वीकार कर धर्मस्थल ले तो जा रहा हूँ किन्तु यह राशि हम आपको ससम्मान प्रत्यार्पित कर देंगे। संस्थान द्वारा संचालित रु. 25,000/- राशि के सराक पुरस्कार से इस वर्ष (2002 में) श्री विनयकुमार जैन, दिल्ली को सम्मानित किया गया। उन्होंने भी यह राशि अपनी ओर से घोषित राशि सहित सराकोत्थान के कार्य में खर्च करने की घोषणा की। ateलगी आगामी दिसम्बर 2002 उपाध्यायज्ञानसागर सवदनपुरस्कारसम 112 अर्हत् वचन, 14 (4), 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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