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टिप्पणी-2
अर्हत वचन (कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर)
ध्रुव क्षेत्र अंटार्कटिका में शाकोत्पादन
एवं शाकाहार
मनोजकुमार जैन 'निर्लिप्त'*
दुनिया के उन मुकामों/क्षेत्रों, जहाँ कि शाक - पात कुछ होता ही नहीं, के लोग यदि मांसाहार न करें तो क्या खायें? इस प्रकार के प्रश्न प्राय: लोगों द्वारा किये ही जाते रहते हैं. ऐसे प्रश्नों को आज के वैज्ञानिकों ने मात्र कुतर्कपूर्ण अथवा अनुचित, आधारहीन/बेबुनियाद प्रमाणित किया है।
एक दशक पूर्व, देश के समाचार पत्रों में अग्रणी 'नवभारत टाइम्स' में प्रकाशित यह समाचार आज भी महत्वपूर्ण एवं हर्षपद है कि दक्षिण ध्रुव क्षेत्र - 'अंटार्कटिका' में वैज्ञानिकों ने ही सब्जियाँ एवं फल उगाने में सफलता प्राप्त की है। इतना ही नहीं, उस अंटार्कटिका में पहुँचने वाले भारतीय रक्षा अनुसधान प्रयोगशाला के वैज्ञानिक दल ने वहाँ उन ताजी सब्जियों एवं फलो का आहार भी किया है।
दैनिक 'नवभारत टाइम्स (लखनऊ) के 1 जनवरी, 1992 के अंक में प्रकाशित उक्त वैज्ञानिक दल के साथ अंटार्कटिका जाने वाले विशेष सम्वाददाता श्री गोविन्द राजू की रिपोर्ट 'तुफानी हवाओं के बीच अंटार्कटिका पहँचे', इस सन्दर्भ में अवश्य ही मननीय है। रिपोर्ट के अगोद्धत बिन्दुओं पर ध्यान देना हमारी शंकाओं, जैसे विकट ठंडे देशों में शाकाहार कैसे संभव? का सहज समाधान है एवं उसको सर्वत्र एवं पूर्णत: अपनाये जाने का श्रेष्ठ आहवान है। प्रस्तुत है उस रिपोर्ट के इस दिशा में मननीय, प्रमुख अंश -
'पृथ्वी के सातवें महाद्वीप अंटार्कटिका की शिरमाचर पहाड़ियाँ उस शाम 'भारत माता की जय' के जोशीले नारों से गूंज उठी थी और हिम के उस बियाबान में दूर - दूर तक बिखर गई थी उन नारों की अनुगूंज। अवसर था ग्यारहवें भारतीय अंटार्कटिका अभियान दल के अंटार्कटिका स्थित मैत्री केन्द्र में पहुँचने का।
27 दिन की कष्टपद समुद्री यात्रा पूरी करके दल सोमवार 23 दिसम्बर को अंटार्कटिका पहुँचा! जैसे ही ग्यारहवें दल के नेता डॉ. शरदीन्दु मुखर्जी व उनके कुछ साथियों ने 'मैत्री' की धरती पर पाँव रखा, दसवें दल के नेता ए. के. हंजूरा व उनके साथियों ने उन्हें सर आँखों पर बैठा लिया।
अंटार्कटिका के खतरनाक मौसम, अकेलेपन, भीषण ठण्ड व प्रतिकूल जीवन परिस्थितियों के बावजूद भारत से हजारों किलोमीटर दूर दक्षिण गोलार्द्ध के इस छोटे से भारत में मिलन समारोह के दौरान हुए जलपान में सर्वाधिक हैरान करने वाली चीज थी - अंटार्कटिका में उगी हई ताजा सब्जियाँ - खीरे, टमाटर व हरी मिर्च। रक्षा अनुसंधान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने अपने अथक परिश्रम से अंटार्कटिका में सब्जियाँ उगाने में सफलता हासिल की है।
आगे लिखते हैं - उस (अंटार्कटिका में सब्जियाँ उगने) की दिशा में अभी परीक्षण जारी है। कृषि - उत्पादन की इस सफलता के बावजूद अंटार्कटिका में प्रकृति अब भी मनुष्य के लिये सबसे बड़ी बाधा है।"
उक्त समाचार निश्चित ही इस तथ्य का बोधक है कि यदि मानव चाहे तो प्रतिकूल प्राकृतिक परिस्थितियों में भी मात्र अपने रहने की ही नहीं, अपितु अच्छा एवं शाकाहारी
अर्हत् वचन, 14 (4), 2002
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