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हो गए हैं एवं होते जा रहे हैं, यह एक अत्यन्त ही विडम्बनापूर्ण एवं चिन्तनीय प्रसंग है। जहां तक मुस्लिम भाईयों का प्रश्न है, उन्हीं के समुदाय के लन्दन मस्जिद के इमाम मौलाना मसेरी ने अपनी पुस्तक 'इस्लामिक कन्सर्न अबाउट एनिमल्स' (ISLAMIC CONCERN ABOUT ANIMALS) में जानवरों पर होने वाले जुल्मों पर गहरा अफसोस जाहिर करते हुए, प्रकारान्तर से सदा सर्वदा पूर्ण शाकाहार ही का आह्वान किया है। आज अनेकों मुस्लिम भाई शाकाहारी विद्यमान भी हैं।
पश्चिमी जगत के प्रसिद्ध नाटककार जार्ज बर्नार्ड शॉ मांसाहार के विरोध में स्पष्ट कहा करते थे - 'मेरा पेट कोई क्रबिस्तान नहीं, जो इसमें मुर्दो अर्थात् मृत पशुओं के मांसादि को स्थान ढूँ। यहां तक कि बीमार पड़ जाने पर डाक्टरों द्वारा बार - बार आग्रह किए जाने पर भी उन्होंने मांसाहार कतई नहीं किया और दैवयोग से पूर्ण स्वस्थ भी हो गए। अन्य अनेकों प्रसिद्ध विदेशी, जो दृढ़ शाकाहार - परिपालक थे, में प्रमुख हुए हैं - गणितज्ञ पाइथागोरस, वैज्ञानिक आइजक न्यूटन, डा. एनी बिसेण्ट, वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्सटाइन, दार्शनिक टॉलस्टॉय, सुकरात एवं अन्य भी अनेक।
जहां तक ईसाई धर्म ग्रन्थों में शाकाहार आहवान का प्रश्न है, उदाहरण के लिए - बाइबिल में सृष्टि के प्रथम स्त्री - पुरुष आदम और ईव को 'गॉड फादर' की ओर से निर्देश दिया गया है - "देखो, मैंने, तुम्हें प्रत्येक पौधा बीज उत्पन्न करने वाला और वृक्ष फल देने वाला दिया है। ये ही तुम्हारे लिए - आहार होंगे।"
अपने देश के विलक्षण स्वन्त्रता - संग्रामी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शाकाहार परिपालना से सभी भारतीय परिचित हैं, जिनकी शाकाहार - विचारधारा की मूल 'अहिंसा - नीति' ने अंग्रेजों की दासता से देश को स्वतन्त्रता दिलवाने में अह्म भूमिका निभाई थी। इस विलक्षण युद्धास्त्र अहिंसा की शक्ति - सामर्थ्य पर आज विश्व के अनेकों मनीषी शोध कर चुके हैं एवं कर रहे हैं।
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ही की भॉति, गांधीजी का पुत्र भी रोगग्रस्त हुआ एवं डाक्टरों ने उसको मांसाहार कराए जाने - मांसाहारी सूप पिलाए जाने का दृढ़ निर्देश, उसकी जीवन - रक्षार्थ दिया, किन्तु अन्तरंग से शाकाहार का पालन करने - कराने में दृढ़ आस्थारत गांधीजी ने ऐसा तनिक भी नहीं किया एवं पश्चात् अपने पुत्र को दैवयोगवश स्वस्थ भी पाया।
देशी-विदेशी शाकाहार - परिपालकों के उक्त परिचय का बोध करके इस बात का सहज ज्ञान होता है कि शाकाहार के और भी अनेकों लाभ हैं यथा -
(1) शाकाहार बुद्धि - सद्बुद्धि उपजायक, एवं सद्बुद्धि वृद्धिंगत कारण है।
(2) शाकाहार का दृढ़ता के साथ गहन सह सम्बन्ध है एवं यह सम्बन्ध द्वि- पक्षीय है अर्थात शाकाहारी दृढ होता है एवं दृढ़ ही शाकाहारी हो सकता है, शाकाहार कायरता लाता नहीं एवं कोई भी कायर - जन शाकाहारी या सच्चे अर्थों में शाकाहारी हो सकता नहीं, क्योंकि शाकाहार एवं अहिंसा परिपालनार्थ दृढ आत्मबल आदि की आवश्यकता होती
है।
(3) शाकाहार कर्त्तव्य - बोध से च्युत कदापि नहीं करता तथा न ही अत्याचार या निज अधिकार हनन को सहते रहने की शिक्षा देता है, अपितु यथासंभव अहिंसा द्वारा ही निज - अधिकार का युद्ध सिखलाता है।
इन सभी एवं पूर्व कथित शाकाहार महत्ताओं के परिप्रेक्ष्य में आज आवश्यकता
अर्हत् वचन, 14 (4). 2002
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