Book Title: Arhat Vachan 2002 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 105
________________ अर्ह कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर जैन दर्शन एवं विज्ञान जीवन क्या है? What is Life? विभिन्न जैन आम्नायों के साधुओं एवं विद्वानों से 'जीवन क्या है?' पुस्तक' को लेकर काफी महत्वपूर्ण चर्चायें हुई तथा महत्वपूर्ण जिज्ञासाएँ एवं शंकाएँ सामने उपस्थित हुई। कुछ का कहना था कि बैक्टेरिया को त्रस मानना चाहिये तो कुछ का कहना था कि बैक्टेरिया, वायरस और कोशिकाएँ जीव ही नहीं हैं। कुछ अन्य का कहना था कि बैक्टेरिया को वनस्पति वर्ग में रखना चाहिये दही के बैक्टेरिया को लेकर भी चर्चायें हुई इन सबका क्रमश: यहाँ उल्लेख करना उचित रहेगा। 1. शंका बैक्टेरिया को उस मानना चाहिये स्थावर नहीं क्योंकि इन्हें जल में गमन करते हुए देखा जा सकता है। टिप्पणी 8 - 'जीवन क्या है ? ' पुस्तक के सन्दर्भ में शंका समाधान [D] डॉ. अनिलकुमार जैन* " समाधान ऐसा मानने पर श्रावकों को त्रस घात हिंसा का दोष तो लगेगा ही, महाव्रती साधुओं को भी दोष लगेगा क्योंकि वायु में भी बैक्टेरिया होते हैं तथा श्वांस लेने में उनका घात होता है। दही में भी बैक्टेरिया पाये जाते हैं तथा साधुओं को उसके सेवन की छूट है। 2. शंका बैक्टेरिया जीव है वह पुद्गल स्कन्ध के भेद समाधान जैन दर्शन और विज्ञान दोनों में जीव के जो लक्षण बताये गये हैं उनके अनुसार बैक्टेरिया जीव ही हैं। इन्हें अजीव मानने पर हम सत्यता से कोसों दूर हो जायेंगे ! नहीं हैं, अजीव हैं और इनमें जो वृद्धि आदि देखी जाती संघात आदि के कारण है। 3. शंका बैक्टेरिया को स्थावर मानना तो ठीक है, लेकिन उन्हें जलकायिक आदि नहीं माना जा सकता है क्योंकि जल ही है जीव जिनका वे जलकायिक होते हैं जबकि बैक्टेरिया जल से भिन्न हैं। अतः इन्हें जलकायिक से भिन्न मानकर दनस्नति वर्ग में रखना उचित रहेगा। अर्हत् वचन, 14 (4), 2002 Jain Education International समाधान विज्ञान ने वनस्पति के जो लक्षण बताये हैं वे बैक्टेरिया में नहीं पाये जाते हैं। पशु के लक्षण भी इनमें नहीं पाये जाते हैं। इसी कारण उन्हें एक अलग वर्ग में रखा गया है। अतः इन्हें वनस्पति से भिन्न ही माना गया है। चूंकि वे स्थावर हैं, अत: इन्हें वनस्पति से भिन्न जलकायिक, वायुकायिक आदि ही माना जा सकता है । फिर भी इस पर और अधिक विचार करने की आवश्यकता है। 4. शंका मनुष्य आदि जीवों के शरीर की कोशिकाएँ जीव नहीं हैं बल्कि औदारिक शरीर का हिस्सा मात्र है। समाधान जीव के लक्षणों के अनुसार प्रत्येक कोशिका जीव ही है। विज्ञान प्रत्येक कोशिका को जीव मानता है। प्रत्येक कोशिका को अलग करा जा सकता है, उसमें For Private & Personal Use Only 101 www.jainelibrary.org

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