________________
जैन शिक्षक छात्रों को संस्कारित करने का दायित्व निभायें
"जैन शिक्षक अपने अध्यापन कार्य के साथ साथ अपने छात्रों को भारतीय संस्कृति के वैशिष्ट्यों, अहिंसा, अपरिग्रह एवं अनेकान्त जैसे सार्वभौमिक सिद्धान्तों की प्रासंगिकता, मांसाहार एवं मद्यपान के दुष्प्रभावों की जानकारी दें महिला प्राध्यापिकाएँ युवतियों को भ्रूण हत्या के घातक परिणामों के प्रति सचेत करें।" उक्त विचार साध्वी श्री चन्दनाजी ने श्री वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ (पूर्वी क्षेत्र) द्वारा 10 नवम्बर 2002 को जैन स्थानक, महावीर नगर में आयोजित जैन शिक्षक सम्मेलन में व्यक्त किये। इन्दौर नगर में प्रथम बार आयोजित इस सम्मेलन को साध्वी श्री अक्षय ज्योतिजी ने भी सम्बोधित किया। सम्मेलन की अध्यक्षता प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. जयन्तीलाल भंडारी ने की। मुख्य वक्ता प्रसिद्ध विचारक प्रो. अरविन्द मारू रहे। सभा को प्रो. हर्षेन्द्रकुमार जैन, प्राचार्य - इल्वा कॉलेज, डॉ. (कु.) सरोज कोठारी, डॉ. अनुपम जैन एवं प्रो. उदय जैन ने भी सम्बोधित किया।
25 वरिष्ठ प्राध्यापकों एवं प्राचार्यों की उपस्थिति में सर्वानुमति से निर्णय लिया गया कि इन्दौर नगर के विद्यालयों / महाविद्यालयों/ तकनीकी शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों अथवा नगर में निवासरत शिक्षकों का एक समूह गठित किया जाये जो परस्पर सहयोग कर अपने शिष्यों को अधिकाधिक लाभ पहुँचा सके। यह समूह देश-विदेश में फैली जैन प्रतिभाओं से सम्पर्क कर उनकी प्रतिभा / क्षमता का उपयोग जैन संस्कृति के प्रसार, नैतिक मूल्यों के विकास जैन साहित्य के पठन पाठन / अध्ययन एवं अनुसंधान कार्यों को विकसित करने में भी करें। सर्वानुमति
प्रो. धाकड़ से प्रो. नरेन्द्र धाकड़ को समूह का संयोजक मनोनीत किया गया। वे समूह के नामकरण, सदस्यता आदि के सन्दर्भ में आगे की कार्यवाही करेंगे प्रो. जयन्तीलाल भंडारी एवं प्रो. एस. के. बंडी उनको सहयोग करेंगे।
108
―――
-
Jain Education International
साध्वी चन्दनाजी
डॉ. अनुपम जैन के आमंत्रण पर नवगठित समूह का प्रथम सम्मेलन 14 जनवरी 2003 को कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर में आयोजित करने का निश्चय किया गया। कार्यक्रम में डॉ. मीता जैन, डॉ. कुसुम जैन, प्रो. दीपक मेहता, श्रीमती इन्दिरा जैन, डॉ संदीप नानावटी प्रो. कन्हैयालाल बोलिया, प्रो. अंगूरबाला बाफना, प्रो. कल्पना मेघावत प्रो. प्रमिला खाबिया, श्रीमती बिन्दु गांधी, प्रो. एम. के. लालन, प्रो. ए. एस. कोठारी, प्रो. वी. के. नाहर एवं प्रो. कल्पना बंडी भी उपस्थित रहीं ।
"
■ डॉ. अनुपम जैन
श्री मांगीलालजी पहाड़े, हैदराबाद का 17.10.2002 को निधन स्व. मांगीलालजी पहाड़े का जीवन धार्मिक व सामाजिक गतिविधियों में हैदराबाद ही नहीं, पूरे देश की दिगम्बर जैन संस्थाओं से जुड़ा हुआ था। वे श्रवणबेलगोला में 12 वर्ष में एक बार होने वाले भगवान बाहुबली के महामस्तकाभिषेक समारोह के सदैव कार्यकारी सदस्य रहे भट्टारकजी श्री चारुकीर्ति स्वामीजी के पिछले कई वर्षों से निरन्तर सम्पर्क में रहे। पिछले महामस्तकाभिषेक के पूर्व श्री पहाड़ेजी ने श्रवणबेलगोला में अतिथि गृह का निर्माण भी कराया। दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर की प्रेरिका गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी के वे अनन्य भक्त थे। बरसों तक उनकी जन्म जयंती पर उनकी ओर से सहभोज का कार्यक्रम रहता था एवं वहीं पर होने वाले पंचकल्याणक महोत्सव में भी उनका पूर्ण सहयोग रहा। हस्तिनापुर में इन्द्रध्वज महामण्डल विधान का कई बार उनकी ओर से आयोजन किया गया।
उनके निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ परिवार की हार्दिक श्रद्धांजलि।
For Private & Personal Use Only
अर्हत् वचन, 14 (4), 2002
www.jainelibrary.org