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टिप्पणी -6
अर्हत् वचन (कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर
अशोक स्तम्भ की संरचना में
जैनधर्म का प्रभाव - डॉ. शीतलकुमार एवं डॉ. पवनकुमार जैन *
भारत वर्ष के उत्तरप्रदेश प्रान्त में गंगा नदी के तट पर स्थित वाराणसी शहर विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है। यह विश्व के तीन धर्मो - हिन्द, जैन एवं बौद्ध सभी के लिये महत्वपूर्ण स्थान है। जैन धर्मावलम्बियों के लिये वाराणसी शहर एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि जैन धर्म के 24 में से 4 तीर्थंकरों की यह जन्मभूमि है - सातवें श्री सुपार्श्वनाथजी, आठवें श्री चन्द्रप्रभुजी, ग्यारहवें श्री श्रेयांसनाथजी एवं तेइसवें श्री पार्श्वनाथजी। भगवान पार्श्वनाथ ऐतिहासिक पुरुष थे। उनका जन्म वाराणसी शहर में ईसा से 877 वर्ष पूर्व में हुआ था। वाराणसी शहर के भेलूपुर नामक स्थान पर पार्श्वनाथजी का एक भव्य मन्दिर है एवं यात्रियों के ठहरने के लिये एक धर्मशाला है।
बौद्ध धर्मावलम्बियों के लिये सारनाथ इसलिये महत्वपूर्ण है कि 2500 वर्ष पूर्व महात्मा बुद्ध ने यहाँ पर अपना प्रथम उपदेश दिया था। लेकिन ग्यारहवें तीर्थकर श्री श्रेयांसनाथ का जन्म सारनाथ में उससे भी हजारों वर्ष पूर्व हुआ था। वहाँ पर भगवान श्रेयांसनाथ का एक भव्य मन्दिर एवं धर्मशाला है।
अर्हत् वचन, 14 (4), 2002
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