________________
देते रहे हैं वे किसी धर्मशाला के खण्डहर हैं जो शायद साधु, साध्वियों, यात्रियों के लिए बनाई गई हो। एक चित्र के बारे में दर्शाए गए मंदिर शायद भगवान के तप कल्याणक उत्सवों के दौरान संध्या में होने वाले प्रवचन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए हों। (चित्र -4) यहां एक विशाल कुंआ भी है। जैन धर्मावलम्बियों के लिए कुंए की आवश्यकता बताना जरूरी नहीं है। हाल ही में की गई खोज में गोतेमाला देश में एक ऐसे पिरेमिड मंदिर के अवशेष मिले हैं जिसके चारों और 11 कोर्ट यार्ड बने हैं। इस खोज से ऐसा लगता है शायद यहां कोई समवशरण की रचना की गई हो। इसके पास ही राजा का शानदार महल मिला है जिसकी ऊंचाई करीब 179 फुट है। पुरातत्वज्ञों का मानना है कि इस खोज के बाद शायद माया सभ्यता का इतिहास बदल जाए।
आशा है जैन समाज के कुछ अनुभवी व विद्वान लोग वहां जाकर इन खण्डहर मंदिरों का अवलोकन करें ताकि जैन धर्म की प्राचीनता के बारे में अधिक प्रमाण प्राप्त हो सकें।
चित्र-1
चित्र-2
अर्हत् वचन, 14 (4), 2002
83
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org