Book Title: Arhat Vachan 2002 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 30
________________ (प्रोटीन/माँस) भोजन से मस्तिष्क में उत्तेजक तंत्रिका संचारक (न्यूरो एक्साइटेटरी ट्रांसमीटर्स) उत्पन्न होते हैं जिससे मस्तिष्क अशांत होता है। 21 गाय, बकरी, भेड़ आदि शाकाहारी जन्तुओं में सिरोटोनिन की अधिकता के कारण ही उनमें शान्त प्रवृत्तियाँ पायी जाती हैं, जबकि मांसाहारी जन्तुओं जैसे शेर आदि में सिरोटोनिन के अभाव से उनमें अधिक उत्तेजना, अशांति एवं चंचलता पायी जाती है। इस परिप्रेक्ष्य में सन् 1993 में जर्नल आफ क्रिमिनल जस्टिस एजूकेशन में फ्लोरिडा स्टेट के अपराध विज्ञानी सी. रे. जैम्फेरी का वक्तव्य भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि वजह चाहे कोई भी हो, मस्तिष्क में सिरोटोनिन का स्तर कम होते ही व्यक्ति आक्रामक और क्रूर हो जाता है। अभी हाल में शिकागो ट्रिब्यून में प्रकाशित अग्रलेख भी बताता है कि 'मस्तिष्क में सिरोटोनिन की मात्रा में गिरावट आते ही हिंसक प्रवृत्ति में उफान आता है' 122 यहाँ यह बताना उचित होगा कि माँस या प्रोटीन युक्त भोज्य पदार्थों से, जिनमें ट्रिप्टोफेन नामक एमीनो अम्ल नहीं होता है मस्तिष्क में सिरोटोनिन की कमी हो जाती है एवं उत्तेजक तंत्रिका संचारकों की वृद्धि हो जाती है। योरोप के विभिन्न उन्नत देशों में नींद ना आने का एक प्रमुख कारण वहाँ के लोगों का माँसाहारी होना भी है। 23 उपरोक्त सिरोटोनिन एवं अन्य तंत्रिका संचारकों की क्रिया विधि पर काम करने पर श्री पॉल ग्रीन गार्ड को सन् 2000 का नोबल पुरस्कार प्राप्त हुआ है। 24 2. आहार और खाद्यान्न समस्या - वैज्ञानिकों का मानना है कि विश्व भर के खाद्य संकट से निपटने के लिये अगले 25 वर्षों में खाद्यान्न उपज को 50 प्रतिशत बढ़ाना होगा। 25 इस समस्या का सुन्दर समाधान अहिंसक आहार शाकाहार में ही संभव है। एक कि.ग्रा. जन्तु प्रोटीन (माँस) हेतु लगभग 8 कि ग्रा. वनस्पति प्रोटीन की आवश्यकता होती है। सीधे वनस्पति उत्पादों का उपयोग करने पर मांसाहार की तुलना में सात गुना व्यक्तियों को पोषण प्रदान किया जा सकता है। 25 किसी खाद्य श्रृंखला में प्रत्येक पोषक स्तर पर 90% ऊर्जा खर्च होकर मात्र 10% ऊर्जा ही अगले पोषक स्तर तक पहुँच पाती है। पादप प्लवक, जन्तु प्लवक आदि से होते होते मछली तक आने में ऊर्जा का बड़ा भारी भाग नष्ट हो जाता है और ऐसे में एक चिंताजनक तथ्य यह है कि विश्व में पकड़ी जाने वाली मछलियों का एक चौथाई भाग माँस उत्पादक जानवरों को खिला दिया जाता है। इस प्रकार विकराल खाद्यान्न समस्या का एक प्रमुख कारण माँसाहार तथा एकमात्र समाधान शाकाहार ही है। 3. आहार और जल समस्या - विश्व के करीब 1.2 अरब व्यक्ति साफ पीने योग्य पानी के अभाव में हैं। ऐसा अनुमान लगाया गया है वर्ष 2025 तक विश्व की करीब दो तिहाई आबादी पानी की समस्या से त्रस्त होगी। विश्व के 80 देशों में पानी की कमी है। इस समस्या के संदर्भ में "एक किलोग्राम गेहूँ के लिये जहाँ मात्र 900 लीटर जल खर्च होता है वहीं गोमाँस के उत्पादन में 1,00,000 लीटर जल खर्च होता है' 27, तथ्य को ध्यान में रखने पर अहिंसक आहार शाकाहार द्वारा जल समस्या का समाधान भी दिखायी दे जाता है। 4. आहार और बीमारियाँ - विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) की बुलेटिन संख्या 637 के अनुसार माँस खाने से शरीर में लगभग 160 बीमारियाँ प्रविष्ट होती हैं। 28 शाकाहार विभिन्न व्याधियों से बचाता है। अधिकांश औषधियाँ वनस्पतियों से ही 26 अर्हत् वचन, 14 (4), 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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