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उत्पन्न होती हैं।
हरी सब्जियों में उपस्थित पोषक तत्व तथा विटामिन 'ई' एवं 'सी' प्रति आक्सीकारकों की तरह कार्य करते हैं। अल्सहाइमर रोग से बचाने में इन प्रति आक्सीकारकों की ही भूमिका होती है। शरीर से मुक्त मूलकों की सफाई में प्रति आक्सीकारक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मुक्त मूलक कैंसर सहित अनेक घातक रोगों के लिये उत्तरदायी होते 8129
5. जैव विविधता संरक्षण और जीवदया गत 2000 वर्षों में लगभग 160 स्तनपायी जीव, 88 पक्षी प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं और वैज्ञानिक अनुमान के 25 वर्षों में एक प्रजाति प्रति मिनिट की दर से विलुप्त हो जायेंगी। 30
अनुसार आगामी
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विभिन्न खाद्य श्रृंखलाओं के द्वारा समस्त जीव जन्तु एवं वनस्पति आपस में उस तरह से प्राकृतिक रूप से जुड़े हुये है कि किसी एक के श्रृंखला से हटने या लुप्त हो जाने से जो असंतुलन उत्पन्न होता है, उसकी पूर्ति किसी अन्य के द्वारा असंभव हो जाती है।
उदाहरणार्थ प्रतिवर्ष हमारे देश में 10 करोड मेंढक मारे जाते हैं। पिछले वर्ष पश्चिमी देशों को निर्यात करने के लिये 1000 टन मेंढक मारे गये। यदि ये मेंढक मारे नहीं जाते तो प्रतिदिन एक हजार टन मच्छरों और फसल नाशी जीवों का सफाया करते। 3
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इस प्रकार से प्रकृति में हर जीव जन्तु का अपना विशिष्ट जीव वैज्ञानिक महत्व है और मनुष्य जाति को स्वयं की रक्षा हेतु अन्य जीव जन्तुओं को भी बचाना ही होगा, अहिंसा की धार्मिक भावना तथा वैज्ञानिकों की सलाह इस संबंध में एक समान है।
6. कीटनाशक और कीड़ों का महत्व प्रत्येक जीव की तरह कीड़ों का भी बहुत महत्व होता है। दुनिया के बहुतेरे फूलों के परागण में कीड़ों का मुख्य योगदान रहता है अर्थात् पेड़ पौधों के बीज एवं फल बनाने में कीड़े महत्वपूर्ण कार्य करते हैं। अनेक शोधकर्त्ताओं ने यह पाया कि जिस क्षेत्र में कीटनाशकों का अधिक उपयोग होता है वहाँ परागण कराने वाले कीड़ों की कमी हो जाती है और फसल की उपज पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | 32
भारत में कीट पतंगों की 131 प्रजातियाँ संकटापन्न स्थिति में जी रही हैं। ऐसे में कीटनाशक के बढ़ते उपयोग और उसके होने वाले दुष्प्रभावों से वैज्ञानिक भी चिंतित हो बैठे हैं। 33
विश्व में प्रतिवर्ष 20 लाख व्यक्ति कीटनाशी विषाक्तता से ग्रसित हो जाते हैं जिनमें से लगभग 20 हजार की मृत्यु हो जाती है। 34 यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 129 रसायनों को प्रतिबन्धित घोषित कर रखा है।
कीटनाशक जहर जैसे होते हैं और ये खाद्य श्रृंखला में लगातार संग्रहीत होकर बढ़ते जाते हैं. इस प्रक्रिया को जैव आवर्धन (Bio Concentration) कहते हैं। उदाहरण के लिये प्रतिबन्धित कीटनाशक डी. डी. टी. की मात्रा मछली में अपने परिवेश के पानी की तुलना में दस लाख गुना अधिक हो सकती है। और इन मछलियों को खाने वालों को स्वाभाविक रूप से अत्यधिक जहर की मात्रा निगलनी ही पड़ेगी। 35 यही प्रक्रिया अन्य माँस उत्पाद के साथ भी लागू होती है खाद्यान्न की तुलना में खाद्यान्न खाने वाले जन्तुओं के माँस में कई गुना कीटनाशक जमा रहेगा जो अन्ततः माँसाहारी को मारक सिद्ध होगा ।
अतएव कीड़ों का बचाव कीटनाशकों का उपयोग रोकना अर्थात् अहिंसा का पालन वैज्ञानिक रूप से भी आवश्यक हो जाता है।
अर्हत् वचन, 14 (4), 2002
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