Book Title: Arhat Vachan 2002 10
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 24
________________ है। इनमें प्रेम, करूणा और समानता का भाव नदारद होता हैं। "आतंकवादी मानवीय संबंध महसूस नहीं करते हैं तथा इनम विध्वंस व निरकुशता की प्रवृत्ति प्रबल होती हैं। यह बर्बर और आदिम आकांक्षा से युक्त होते हैं। दुनिया के स्तर पर आतंकवाद का विकराल तांडव नजर आ रहा हैं। इसके मूल में हैं आधिपत्य के संबंध, दूसरों पर आधिपत्य स्थापित करने की प्रवृत्ति, दूसरों के संसाधन हड़पने की प्रवृत्ति, गलत व सही सब तरीके अपनाकर दसरों से आगे निकलने की प्रवत्ति अपनी सुख-सुविधा पर केंद्रित होकर दूसरों के दुःख दर्द को उपेक्षित करने की प्रवृत्ति। 7. आतंकवादी समूह की विशेषताएँ - आतंकवादी समूह की सदस्यता से व्यक्तियों की संबंधन की आवश्यकता संतुष्ट होती हैं तथा उनकी वैयक्तिक पहचान स्थापित होती हैं। सदस्य समूह निर्णयों का अनुपालन करने लगते हैं तथा उन्हें समरूप व्यवहार करने की प्रेरणा मिलती है। आतंकवादी समूहों के संदेश प्रभावशाली, निरपेक्ष, परमवाद से ओत-प्रोत तथा केंद्रीकरण को प्रोत्साहित करने वाले होते हैं। आतंकवादी खतरे की आशका के कारण समाज से अलग रहते हैं क्योकि बाह्य समूह उनको डराता-धमकाता हैं। इसी आधार पर आतंकवाद को 'कल्पना युद्ध' की संज्ञा दी गई है। इसका तात्पर्य यह है कि विरोध, बाह्य खतरों और शत्रुओं के बावजूद भी आतंकवादी समूह अपने अस्तित्व को बनाये रखना चाहता हैं क्योंकि यह अपने सदस्यों की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए आवश्यक हैं। अत: जब वास्तविक खतरा या शत्र न हो तो भी काल्पनिक रूप में उनको स्वीकार किया जाता हैं। यदि आतंकवादियों का शक्तिशाली प्रतिरोध किया जायेगा तो कल्पना युद्ध वास्तविक युद्ध में परिणत हो जायेगा। यदि आतंकवाद से मुक्ति पाने के लिये समझौतावादी नीति अपनाई जाये तो उसे भी वह समूह अस्तित्व के लिये खतरनाक मानकर अस्वीकार कर देते हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट हैं कि आतंकवाद का जवाब प्रति - आतंकवाद नहीं हो सकता हैं। संसार की सारी शक्ति भी आतंकवाद को समाप्त नहीं कर सकती हैं, सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती हैं। इसको समाप्त करने हेतु समस्या के कारणों की तह तक जाकर, वंचितों की बात को समझकर निर्णय लेना होगा। 8. आतंकवादी संगठनों की विशेषताएँ - छोटे आतंकवादी समूह एक बड़े आतंकवादी संगठन का हिस्सा होते हैं। आतंकवादी संगठनों में नेतृत्व की एक संरचित श्रृंखला होती हैं। नेतृत्व संगठन का निर्माण करने वाले समूहों के बाहर से होता हैं। अत: नेताओं और अनुयायियों में दूरी होती हैं। संगठन में संचार व्यवस्था अच्छी नहीं होती है क्योंकि गोपनीयता रखना उनके लिये अतिआवश्यक होता हैं अन्यथा उनके लिये खतरा पैदा हो सकता हैं। इसी वजह से संगठन में आंतरिक नियंत्रण शिथिल होता हैं। संगठन में किसी भी व्यक्ति की स्थिति या पद उसके क्रांतिकारी क्रियाकलापों तथा तीक्ष्णता पर निर्भर करता हैं। इसलिये व्यक्ति आक्रामक व्यवहार के लिये प्रेरित होता हैं। आतंकवादी संगठन आतंकवाद को एक साधन मानते हैं अर्थात लक्ष्य प्राप्ति के पश्चात भी वह स्वयं के अस्तित्व को बनाये रखते हैं। अहिंसा - भारतीय दर्शन और धर्म में 'दया', 'करूणा' को सर्वश्रेष्ठ मानवीय गुण माना गया हैं। करूणा और दया अहिंसा से संबंधित हैं। अहिसा का व्यापक अर्थ हैं विचार, वाणी और कर्म से किसी भी प्राणी को चोट न पहुँचाना। अहिंसा को मानने वाला ईश्वर के 20 अर्हत् वचन, 14 (4), 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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